अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में देशभर से सम्मानित हस्तियां अयोध्या पहुंची थी। देश के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हर्षोल्लास के साथ इस समारोह पर खुशी जाहिर की।
वहीं, वहीं,22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में आल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के मुख्य इमाम डॉ. उमेर अहमद इलियासी (Umer Ahmed Ilyasi) भी शामिल हुए थे। हालांकि, यह बात कट्टरपंथी विचारधारा रखने वाले लोगों को पसंद नहीं आई।
इमाम डॉ. उमेर अहमद इलियासी के खिलाफ फतवा जारी कर दिया गया है। उन्हें धार्मिक रूप से बहिष्कार के आह्वान के साथ जान से मारने तक की धमकी दी गई है। हालांकि, इमाम ने साफ तौर पर कह दिया है कि वो किसी से माफी नहीं मागेंगे।
प्रगतिशील धार्मिक गुरु माने जाते हैं इमाम
उमेर अहमद इलियासी ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन (AIIO) के मुखिया हैं। इस संगठन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली हुई है। इस संगठन से देशभर के हजारों मस्जिदों के लाखों इमाम जुड़े हुए हैं। उमेर अहमद इलियासी को एक प्रगतिशील धार्मिक गुरु के तौर पर जाना जाता है। मुस्लिम समुदाय में उनका खास रुतबा है
सीएए को लेकर इमाम ने क्या कहा था
साल 2019-20 में सीएए और एनआरसी को लेकर दिल्ली समेत देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए। उसी दौरान नागरिकता संशोधन कानून को लेकर इमाम उमेर अहमद इलियासी ने एक प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को पहले CAA और NRC को समझ लेना चाहिए। इसके बाद अगर लोगों को नागरिकता संशोधन कानून गलत लग रहा हो, तो वो शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं।
‘जो लोग मुझसे नफरत करते हैं, पाकिस्तान चले जाएं’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने कुछ कॉल रिकॉर्ड किए हैं, जिनमें कॉल करने वालों ने मुझे जान से मारने की धमकियां दी हैं. जो लोग मुझे और देश से प्यार करते हैं, वो मेरा समर्थन करेंगे. जो लोग समारोह में शामिल होने की वजह से मुझसे नफरत करते हैं, वो पाकिस्तान चले जाएं. मैंने प्यार का पैगाम दिया है. कोई गुनाह नहीं किया. मैं माफी नहीं मांगूंगा और न ही इस्तीफा दूंगा. धमकी देने वाले जो चाहें कर सकते हैं’.
फतवे में उमेर अहमद को लेकर कही गई ये बातें
फतवे में कहा गया है, ‘राम मंदिर जाने से पहले और अपना बयान देने से पहले क्या यह ख्याल नहीं आया कि तुम मौलाना जमील इलियासी के बेटे और मेवात के जाने-माने उपदेशक परिवार से हो? अरे नादान, तुम कब से इमामों के सरदार बन गए? हिंदुओं की नजर में अच्छा बनना था. हिंदुओं को खुश करने के लिए गए थे’. ‘कोई भी इंसान तब तक सच्चा मुसलमान नहीं बन सकता जब तक उसके अंदर पूरी इंसानियत न हो. फिर यह कहना कि सबसे बड़ा धर्म मानवता है, इसकी इजाजत कहां तक दी जा सकती है? सम्मान पाने के लिए मंदिर के उद्घाटन में क्यों शामिल हुए?.
इतना ही नहीं इस फतवे में इमाम के खिलाफ कई और व्यक्तिगत टिप्पणियां भी की गई हैं. साथ ही उनके इमाम होने पर सवालिया निशान भी उठाया गया है’. इससे पहले ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में पहुंचे डॉ. इमाम उमेर अहमद इलियासी ने कहा था, ‘यह बदलते भारत की तस्वीर है. आज का भारत नवीन और उत्तम है. मैं यहां पैगाम ए मोहब्तत लेकर आया हूं. इबादत के तरीके और पूजा पद्धति अलग हो सकती है. हमारी आस्थाएं जरूर अलग हो सकती हैं, लेकिन हमारा सबसे बड़ा धर्म इंसान और इंसानियत का है. आइए, हम सब मिलकर इंसानियत को बरकरार रखें’. बताते चलें कि मुस्लिम धर्मगुरु डॉ. इमाम उमेर अहमद इलियासी अखिल भारतीय इमाम संगठन ( AIIO) के मुख्य इमाम हैं. इलियासी को अखिल भारतीय इमाम संगठन भारत के 5 लाख इमामों और करीब 21 करोड़ भारतीय मुसलमानों के धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक माना जाता है. उमर अहमद इलियासी इमाम संगठन का वैश्विक चेहरा हैं. धर्म, आध्यात्मिकता और अंतरधार्मिक संवाद के सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर संगठन का प्रतिनिधित्व करते हैं. हाल ही में डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी को पंजाब की देश भगत यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी की उपाधि से सम्मानित किया था. यह पहली बार है कि किसी मस्जिद के इमाम को शिक्षा के सर्वोच्च पद से सम्मानित किया गया.