प्रदर्शनकारी किसानों ने केंद्र सरकार पर अपनी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव डालने के लिए आज अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू किया है। किसानो ने इन मांगों में सबसे महत्वपूर्ण है फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी वाला कानून बनाना – जो बाजार की अनिश्चितताओं का सामना कर रहे किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा है। किसानों की नाराजगी के अन्य प्रमुख बिंदु हैं बिजली अधिनियम 2020 को निरस्त करने, लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के लिए मुआवजे और किसान आंदोलन में शामिल लोगों के खिलाफ मामलों को वापस लेने सहित अन्य मुद्दे शामिल हैं।
किसानों की सोमवार की आधी रात केंद्र सरकार से बातचीत भी हुई और उसके बाद इन मुद्दों पर सहमति भी बन गई थी, लेकिन किसान अपने संकल्प पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने दो साल पहले जो वादे किए थे, वे भी पूरे नहीं हुए हैं। इन सब वादों को पूरा करना ही होगा।
इन मांगों को लेकर डटे हैं किसान
- किसानों की सबसे खास मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनना है.
- किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी कर रहे हैं.
- आंदोलन में शामिल किसान कृषि ऋण माफ करने की मांग भी कर रहे हैं.
- किसान लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं.
- भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर निकाला जाए.
- कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए.
- किसानों और 58 साल से अधिक आयु के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करके 10 हजार रुपए प्रति माह पेंशन दी जाए.
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार की ओर से स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाना और नुकसान का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन करना.
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द किया जाना चाहिए.
- कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए.
दिल्ली में हुई धारा 144 लागू
दिल्ली पुलिस ने किसानों के दिल्ली चलो मार्च के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू कर दी है. यह आदेश एक माह तक लागू रहेगा. दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा के सोमवार को जारी आदेश में किसी भी प्रकार की रैली या जुलूस निकालने और सड़कों एवं मार्गों को अवरुद्ध करने पर रोक लगा दी है.
दिल्ली पुलिस के आदेश के तहत ट्रैक्टर रैलियों के राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं को पार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. ऐसी संभावना है कि पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसान ‘मार्च’ के दौरान दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश करेंगे.
पुराने मुद्दों को लेकर ही आंदोलन
इन संगठनों का मुद्दा वही है, जो संयुक्त किसान मोर्चा उठा रहा था. इसमें सबसे बड़ी मांग फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी वाला कानून है. इसके अलावा बिजली की दरों में रियायत और कर्ज माफी का भी मुद्दा है. ऑल इंडिया किसान सभा के उपाध्यक्ष आनंद मोहल्ला ने आजतक को बताया की संयुक्त किसान मोर्चा के कुछ स्प्लिंटर संगठन जो अलग हो गए थे, यह उनका आंदोलन है.
16 फरवरी को भारत बंद का आह्वान
ऑल इंडिया किसान सभा ने भी किसानों के आंदोलन से फिलहाल दूरी बनाई हुई है, जबकि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 16 फरवरी को राष्ट्रव्यापी भारत बंद का आह्नान किया गया है, जिसमें तमाम किसान और मजदूर पूरे दिन हड़ताल और काम बंद करेंगे. दोपहर 12 बजे से लेकर के शाम 4 बजे तक देश के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों का घेराव किया जाएगा और हाईवे बंद किए जाएंगे. ऑल इंडिया किसान सभा का कहना है कि सरकार ने स्वामीनाथन को भारत रत्न दे दिया, लेकिन उनकी सिफारिश नहीं मानी गई हैं.