सरकारी भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी को रोकने के लिए कुछ दिन पहले बजट सत्र में संसद द्वारा लोक परीक्षा विधेयक-2024 को पारित किया गया था, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंजूरी दे दी है।
गौरतलब है कि इस कानून का उद्देश्य तमाम सरकारी प्रवेश परीक्षाओं में धांधली रोकना है और धोखाधड़ी की जांच करना है। साथ ही सरकारी परीक्षाओं में पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता लाना है।
राष्ट्रपति ने विधेयक को दी मंजूरी
बता दें कि सोमवार को राष्ट्रपति ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी। यह आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा केंद्र सरकार द्वारा तय की गई तारीख पर लागू होगा। अधिनियम में सार्वजनिक परीक्षाओं का अर्थ केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित प्राधिकारियों द्वारा आयोजित परीक्षाओं से है। इनमें संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे भर्ती बोर्ड, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी, बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान और भर्ती के लिए केंद्र सरकार के विभाग और उनसे जुड़े कार्यालय शामिल हैं।
तीन से पांच साल तक की कैद का है प्रावधान
सार्वजनिक परीक्षा के दौरान उम्मीदवार की सहायता करना, कंप्यूटर नेटवर्क या संसाधनों के साथ छेड़छाड़ करना, शार्टलिस्टिंग या मेरिट सूची या रैंक को अंतिम रूप देने के लिए दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करना और फर्जी परीक्षा के लिए सख्त प्रविधान किए गए हैं। यह अधिनियम समय से पहले परीक्षा से संबंधित गोपनीय जानकारी उजागर करने और अनधिकृत लोगों को व्यवधान पैदा करने के लिए परीक्षा केंद्रों में प्रवेश करने से भी रोकता है। इन अपराधों के लिए तीन से पांच साल तक की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना होगा।
इसके उद्देश्य क्या हैं?
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने सदन में कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में प्रश्नपत्र लीक होने के मामलों ने लाखों छात्रों और अभ्यर्थियों के हितों को प्रभावित किया है। इसे रोकना जरूरी है। ऐसा नहीं करना लाखों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। बजट सत्र की शुरुआत पर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा था कि सरकार परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ी को लेकर युवाओं की चिंताओं से अवगत है। इस दिशा में सख्ती लाने के लिए नया कानून बनाने का निर्णय लिया गया है।
विधेयक का मकसद परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग को रोकना है। संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे भर्ती बोर्ड, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी, बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान और केंद्र सरकार के विभाग और भर्ती के लिए उनके जुड़े कार्यालय द्वारा कराई जाने वाली परीक्षाएं इस विधयेक के दायरे में आएंगी।
लोक परीक्षाओं के संबंध में अपराध
कानून में कहा गया है कि यह परीक्षा में होने वाली किसी भी अनुचित लिप्तता या मिलीभगत या साजिश पर रोक लगाता है। इन अपराधों को कारित करने पर तीन से पांच साल तक की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना होगा।