ज्ञानवापी परिसर के व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति के खिलाफ मस्जिद कमेटी की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। अदालत अगले हफ्ते इस मामले पर फैसला सुना सकती है। इससे पहले इस मामले की सुनवाई 15 फरवरी तक के लिए टाल दी गई थी। 31 जनवरी को जिला जज वाराणसी ने ज्ञानवापी स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा की अनुमति दी है। इस फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी।
हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने बहस की। वैद्यनाथन ने तकरीबन 40 मिनट तक दलीलें पेश करते हुए कहा कि ज्ञानवापी के दाहिने हिस्से में तहखाना स्थित है जहां पर हिंदू वर्ष 1993 तक पूजा कर रहे थे उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के दाहिने हिस्से में तहखाना स्थित है। ऑर्डर 40 रूल 1 सीपीसी के तहत वाराणसी कोर्ट ने डीएम को रिसीवर नियुक्त किया।
सोमवार को हुई थी सुनवाई
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी तलगृह में काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पूजा की अनुमति देने संबंधी जिला जज के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली अपीलों पर गुरुवार को भी सुनवाई हुई। इससे पहले सोमवार को करीब एक घंटे से ज्यादा समय तक चली सुनवाई में मस्जिद पक्ष ने कहा था कि पूजा संबंधी आदेश सही नहीं है।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने की सुनवाई
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से चुनौती देने अपीलों की सुनवाई कर रहे हैं। मंदिर पक्ष का कहना है कि जिला जज के आदेश में कुछ भी गलत नहीं है। पांच मई की सुनवाई में पीठ ने कहा था कि 1993 तक किसका कब्जा था, यह तय हो जाए तो फैसला हो जाएगा।