महाराष्ट्र के स्पीकर ने कहा है कि अजित गुट ही असली एनसीपी है. इस गुट को 41 विधायकों का समर्थन हासिल है. गौरतलब है कि पिछले साल अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी के विधायकों ने विद्रोह कर दिया था. अजित पवार गुट की तरफ से दावा किया गया था कि उनका गुट ही असली एनसीपी है. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि अजित पवार के पास शरद पवार से ज्यादा विधायकों का समर्थन है. शरद पवार गुट की सभी याचिकाओं को विधानसभा अध्यक्ष ने खारिज कर दिया.
विधानसभा अध्यक्ष ने चुनाव आयोग के फैसले का दिया हवाला
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि 10 वी सूची के मुताबिक, पार्टी के संविधान लीडरशिप स्ट्रक्चर और विधायक दल किसके पास है उसके आधार पर ही पार्टी किसके पास है ये तय हो सकेगा. विधानसभा अध्यक्ष ने पिछले हफ्ते के चुनाव आयोग के आदेश का हवाला दिया, जिसमें अजीत पवार के गुट को ‘असली एनसीपी’ के रूप में मान्यता दी गयी है और शरद पवार के पक्ष से पार्टी का नाम और प्रतीक छीन लिया गया है. बाद में शरद पवार की पार्टी का नाम बदलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरदचंद्र पवार कर दिया गया है.
असली एनसीपी किसका?
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिव सेना गुट की तरह अजित पवार गुट की तरफ से भी दावा किया गया था कि वे असली एनसीपी हैं. क्योंकि उन्हें पार्टी के अधिकांश विधायकों का समर्थन प्राप्त है. उनके नेतृत्व वाले गुट ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा करते हुए चुनाव आयोग से संपर्क किया था. अजित पवार गुट की तरफ से चुनाव आयोग को बताया गया था कि अजित पवार को 30 जून, 2023 के एक प्रस्ताव के माध्यम से एनसीपी का प्रमुख चुना गया है. जिस पर पार्टी सदस्यों के “भारी बहुमत” द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे. अजित पवार गुट के पक्ष में चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया था.
चुनाव आयोग के फैसले पर ‘हैरान’ थे शरद पवार
बता दें कि वरिष्ठ नेता शरद पवार ने इससे पहले रविवार को कहा था कि अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नाम और चुनाव चिह्न आवंटित किए जाने का निर्वाचन आयोग का फैसला ‘हैरान’ करने वाला है। बाद में चुनाव आयोग ने शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट को ‘नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार)’ का नाम दिया था। शरद पवार ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली पार्टी को असली NCP के रूप में मान्यता देने के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है।
विधायको के कृत्य पार्टी के विरोध में नहीं
विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि विधायकों ने पार्टी के विरोध में कुछ नहीं किया. शरद पवार के दिल से नही चलना मतलब यह नही की विधायको के कृत्य कदम पार्टी विरोधी है. पार्टी के अंदर की नाराजगी का मतलब यह नही की विधान मंडल की नाराजगी है. पार्टी में मतभेद होता है लेकिन विधायको ने पार्टी नही छोड़ी. पार्टी का मतभेद मतलब यह नहीं कि कानूनी उल्लंघन हुआ है.
शिवसेना के फैसले का आधार लेना होगा
एनसीपी विधायकों की अयोग्यता पर फैसला पढ़ते हुए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि फैसले के लिए मुझे उस आधार को लेना हेागा जो शिवसेना के विधायकों की अयोग्यता पर फैसला सुनाते वक्त लिया गया था. दरअसल पार्टी के संविधान में लिखा है कि महत्वपूर्ण निर्णय अध्यक्ष लेंगे. दोनों गुटों का दावा है कि हमारे पास बहुमत है, जबकि 29 जून तक शरद पवार की अध्यक्षता पद पर कोई चैलेंज नहीं था. 30 जून को दो लोगों ने दावा कर दिया. दोनों का मानना है कि अध्यक्ष पद का चुनाव संविधान के हिसाब से नहीं हुआ. दोनों समूहों द्वारा अयोग्यता याचिकाएं भी दायर की गई हैं.
क्या है पूरा मामला
अजीत पवार विधायकों के एक गुट के साथ महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए थे. इसके बाद शरद पवार गुट और अजित पवार गुट ने एक दूसरे के खिलाफ विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका दायर की थी. अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के समक्ष इनकी सुनवाई पूरी हुई. इससे पहले चुनाव आयोग ने अजीत पवार गुट को असली एनसीपी मानकर शरद पवार को बड़ा झटका दिया था. इस फैसले के बाद पार्टी के नाम और चिह्न पर अजीत पवार गुट का कब्जा है. फैसले में चुनाव आयोग ने कहा था कि शरद पवार समूह के संगठनात्मक बहुमत होने के दावे में गंभीर विसंगतियां मिली हैं. इसके बाद विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने सुप्रीम कोर्ट में एनसीपी विधायकों की अयोग्यता को लेकर तीन हफ्ते का वक्त मांगा था, हालांकि, अभिषेक मनु सिंघवी ने आपत्ति जताई और दलील दी कि सिर्फ एक हफ्ते की मोहलत दी जानी चाहिए. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए समयसीमा 15 फरवरी तक बढ़ा दी थी. कोर्ट ने पहले राहुल नार्वेकर को एनसीपी विधायक अयोग्यता मामले पर 31 जनवरी तक फैसला करने का आदेश दिया था.