भारत और चीन के बीच 19 फरवरी कोर कमांडर स्तर की बैठक का आयोजन किया गया. ये बैठक का 21वां दौर था. ये बैठक भारत के चुशुल-मोल्डो सीमा पर आयोजित की गई थी. मैत्रीपूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई इस वार्ता में दोनों ही पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ बाकी क्षेत्रों में शांति बहाली को लेकर अपने-अपने दृष्टिकोण साझा किए. साथ ही पिछले दौर की बैठक में उठाए गए मुद्दों पर भी चर्चा की.
बैठक में भारत और चीन दोनों ही पक्ष सैन्य और राजनयिक तंत्र के जरिए बातचीत और विचारों के आदान-प्रदान की गति को बनाए रखने पर सहमत हुए. दोनों ही पक्षों ने अंतरिम रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर शांति बनाए रखने की भी प्रतिबद्धता जताई साथ ही गतिरोध को दूर करने पर जोर दिया.
पिछले साल भी कई मुद्दों पर हुई थी चर्चा
पिछले साल 2023 में अक्टूबर में दोनों देशों के बीच 20वें दौर की बैठक हुई थी. इस बैठक में पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ ही कई अन्य मुद्दों और उनके समाधान पर चर्चा की गई थी. इससे पहले अप्रेल में हुई सैन्य वार्ता में भारत ने डेपसांग और डेमचोक में लंबित मुद्दों को हल करने के लिए चीन पर दबाव डाला था. लेकिन इस वार्ता का कोई ठोस परिणाम नहीं निकल सका था.
पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच गतिरोध
आपको बता दें कि पिछले कुछ सालों से पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच गतिरोध बना हुआ है. दोनों ही देशों ने यहां अपने- अपने सैनिकों को तैनात किया है. चीनी सैनिक अक्सर भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश करते रहे हैं. जिसको लेकर भारत ने कई बार आपत्ति जताई है. सीमा पर दोनों ही देशों के सैनिकों के बीच कई बार झड़प भी हुई है.
चीनी सैनिकों ने की थी घुसपैठ की कोशिश
2020 में कोरोना महामारी के दौरान चीन की तरफ से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को बदलने के की कोशिश की गई थी. इस दौरान भारी हथियारों और बड़ी तादाद में सैनिकों ने आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाने की कोशिश की थी. जिसका भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया था. इसके बाद से दोनों ही देशों के बीच रिश्ते और भी खराब होते गए. पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में मामलों को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीत कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता शुरू की गई थी.