भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और सफलता प्राप्त करते हुए मौसम संबंधी उपग्रह इनसेट-3डीएस को भू-स्थिर कक्षा में पहुंचा दिया। इसरो ने गुरुवार को कहा एक्स पर पोस्ट किया, मिशन के सभी चार लिक्विड अपोजी मोटर (एलएएम) फायरिंग पूरे हो गए हैं। इनसेट-3डीएस के 28 फरवरी तक इन-आर्बिट टेस्टिंग (आइओटी) पर पहुंचने की उम्मीद है।
🛰️INSAT-3DS update:
All four planned Liquid Apogee Motor (LAM) firings are completed.
The spacecraft is now in the geosynchronous orbit.
It is expected to reach the In Orbit Testing (IOT) location by February 28, 2024. pic.twitter.com/0x84L8iIPn
— ISRO (@isro) February 22, 2024
इससे पहले इसरो ने शनिवार को तीसरी पीढ़ी के मौसम अवलोकन उपग्रह इनसेट-3डीएस को लांच किया था। जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल (जीएसएलवी)-एफ14 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इनसेट-3डीएस के साथ उड़ान भरी। लगभग 20 मिनट की उड़ान के बाद 2274 किलोग्राम वजनी इनसेट-3डीएस को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर आर्बिट में स्थापित कर दिया गया।
इनसेट का मतलब इंडियन नेशनल सेटेलाइट सिस्टम है। मिशन का उद्देश्य इनसेट-3 डी (2013 में लांच) और इनसेट-3 डीआर (सितंबर 2016 में लांच) को उन्नत मौसम संबंधी डाटा, भूमि और महासागर सतहों की निगरानी, मौसम पूर्वानुमान और आपदा चेतावनी के लिए सेवाओं की निरंतरता प्रदान करना है। इस मिशन की अवधि लगभग 10 वर्ष होने की उम्मीद है।
इनसैट-3डीएस से होंगे ये फायदे
इनसैट 3डीएस सैटेलाइट एक मौसम उपग्रह है, जो इनसैट-3डी सैटेलाइट का उन्नत स्वरूप है। इनसैट-3डीएस सैटेलाइट की मदद से मौसम संबंधी और प्राकृतिक आपदाओं की सटीक जानकारी मिल सकेगी। इनसैट-3डीएस से समुद्र की सतह और इसके तापमान के मौसम पर पड़ने वाले असर का अध्ययन किया जा सकेगा। साथ ही इनसैट 3डीएस की मदद से डेटा संग्रह प्लेटफॉर्म्स से डेटा का संग्रह किया जा सकेगा। इनसैट-3डीएस की पूरी फंडिंग भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने की है।
इस सैटेलाइट से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय मौसम विभाग, नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फॉरकास्टिंग, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटियोरोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओसीन टेक्नोलॉजी, इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओसीन इनफोर्मेशन सर्विस और कई अन्य एजेंसियों को इनसैट-3डीएस से फायदा मिलेगा।