प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को एक कथित बैंक धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में समाजवादी पार्टी के नेता विनय शंकर तिवारी के आवास सहित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा में दस स्थानों पर छापेमारी की।
उत्तर प्रदेश में संघीय एजेंसी का लखनऊ क्षेत्र गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड से संबंधित कथित बैंक धोखाधड़ी के मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 17 के तहत तलाशी अभियान चला रहा है।
10 परिसरों पर ED के छापे
कंपनी सड़कों के निर्माण, टोल प्लाजा के संचालन और सरकारी ठेकों का काम करती है। समूह के मुख्य प्रवर्तक विनय शंकर तिवारी, रीता तिवारी और अजीत पांडे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के लखनऊ, गोरखपुर और नोएडा, गुजरात के अहमदाबाद और हरियाणा के गुरुग्राम में मामले में शामिल आरोपी व्यक्तियों से जुड़े 10 परिसरों पर छापे मारे गए।
सूत्रों ने बताया कि तलाशी अभी भी जारी है।
72.08 करोड़ की संपत्तियां हुई थीं कुर्क
नवंबर में, ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड के आरोपी प्रमोटरों, निदेशकों और गारंटरों से संबंधित लखनऊ, महाराजगंज और गोरखपुर जिलों में 72.08 करोड़ रुपये की 27 अचल संपत्तियां कुर्क की थीं।
एजेंसी के अनुसार, तब कुर्क की गई संपत्तियां उत्तर प्रदेश के दिवंगत कैबिनेट मंत्री हरि शंकर तिवारी के बेटे और गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी, उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के नाम पर थीं, जो कंपनी में निदेशक, प्रमोटर और गारंटर हैं।
बैंकों के संघ को 754.24 करोड़ रुपये का हुआ नुकसान
ईडी ने गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड और उसके प्रमोटरों, निदेशकों और गारंटरों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो, एसी-वी, नई दिल्ली द्वारा दर्ज की गई पहली सूचना रिपोर्ट के आधार पर जांच शुरू की।
जांच से पता चला कि गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने अपने प्रमोटरों, निदेशकों और गारंटरों के साथ मिलकर बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले सात बैंकों के संघ से 1,129.44 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से क्रेडिट सुविधाओं का लाभ उठाया।
आगे यह भी पता चला कि उक्त क्रेडिट सुविधाओं का भुगतान नहीं किया गया और गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड और उसके प्रमोटरों, निदेशकों और गारंटरों द्वारा बैंकिंग मानदंडों का उल्लंघन करते हुए बड़े पैमाने पर डायवर्ट और दुरुपयोग किया गया, जिससे बैंकों के संघ को 754.24 करोड़ रुपये का गलत नुकसान हुआ।