आज राज्यसभा चुनाव 2024 की वोटिंग के बीच और राहुल गांधी की न्याय यात्रा के गुजरात में एंट्री करने से ठीक पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है।
कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री नारण राठवा ने आज कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली है। उनके साथ उनके बेटे संग्राम राठवा भी भाजपा में शामिल हुए। गांधीनगर भाजपा कार्यालय कमलम में गुजरात के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष CR पाटिल ने भगवा पटका पहनकर राठवा पिता-पुत्र को भाजपा की सदस्यता दिलाई।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के गुजरात के आदिवासी इलाकों में पहुंचने से पहले भाजपा ने बड़ा गेम खेला है। न्याय यात्रा 7 मार्च को गुजरात के दाहोद, गोधरा और पंचमहल के आदिवासी इलाकों से गुजरने वाली है। ऐसे में छोटा उदेपुर जैसे आदिवासी इलाके में कांग्रेस के बड़े वोट बैंक के आधार स्तम्भ नारण राठवा का कांग्रेस छोड़ भाजपा में चले जाना बड़ा झटका है।
कांग्रेस से की थी राठवा ने करियर की शुरुआत
नारण राठवा आदिवासी समुदाय से आते हैं। कांग्रेस से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले 67 साल के नारण राठवा 1989 में लोकसभा चुनाव जीतकर पहली बार संसद पहुंचे। इसके बाद उन्होंने साल 1991, 1996, 1998 और 2004 में भी लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता।
नारण राठवा साल 2004 से 2009 तक UPA-1 सरकार में रेल राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। साल 2008 में कांग्रेस ने नाराण राठवा को राज्यसभा भेजा। 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के रामसिंह राठवा ने नारण राठवा को हरा कर छोटा उदेपुर की सीट कांग्रेस से हथिया ली। इसके बाद राठवा ने कोई पद नहीं संभाला, लेकिन 2018 में उन्हें कांग्रेस ने गुजरात से राज्यसभा में भेज दिया था।
पांच बार के लोकसभा सांसद
आदिवासी समुदाय से आने वाले कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री नारण राठवा का राज्यसभा सदस्य के रूप में कार्यकाल इस साल अप्रैल में समाप्त होने वाला है। उन्होंने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से की। वह पांच बार लोकसभा के लिए चुने गए – पहली बार 1989 में, फिर 1991, 1996, 1998 और 2004 में। वह 2004 से 2009 तक यूपीए-1 में रेल राज्य मंत्री रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा के रामसिंह राठवा से हार गए। फिर वह कांग्रेस से राज्यसभा सांसद बने।
गुजरात में कांग्रेस को और झटके लगने की चर्चा
वहीं लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले नारण राठवा के भाजपा में आने से गुजरात की आदिवासी बेल्ट में पार्टी को बड़ा फायदा मिल सकता है। ऐसी भी संभावना है कि भाजपा नारण राठवा को लोकसभा उम्मीदवार बना दे।
बता दें कि 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में मोहन सिंह राठवा और नारण राठवा के बीच अपने-अपने बेटे को चुनाव टिकट दिलाने को लेकर खींचतान हुई थी। दोनों आदिवासी नेता चाहते थे कि उनके बेटे विधानसभा चुनाव लड़ें।
अभी गुजरात में कांग्रेस को और कई बड़े झटके लगने की उम्मीद भी है। क्योंकि आने वाले दिनों में कुछ और विधायकों के भाजपा में शामिल होने की चर्चा सियासी गलियारों में चल रही है।
बता दें कि भरुच सीट से आप और कांग्रेस के समझौते के मुताबिक, आम आदमी पार्टी के चेतर वसावा को लोकसभा उम्मीदवार बनाया गया है। इससे अहमद पटेल का परिवार काफी नाराज़ चल रहा है। उनकी बेटी मुमताज़ पटेल और बेटा फैज़ल पटेल पार्टी के इस फैसले से सहमत नहीं हैं।
नारण राठवा के बीजेपी में आने से भगवा दल को फायदा
हालांकि, साल 2008 में कांग्रेस ने नाराण राठवा को राज्यसभा भेजा. वहीं अब नारण राठवा के बीजेपी में आने से लोकसभा में आदिवासी बेल्ट में बीजेपी को बड़ा फायदा मिल सकता है. बता दें कि, 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में मोहनसिंह राठवा और नारण राठवा के बीच अपने-अपने बेटे के टिकट दिलाने को लेकर खींचतान हुई थी. दोनों आदिवासी नेता चाहते थे कि उनका बेटा विधानसभा चुनाव लड़े. अब नारण राठवा अपने बेटे के साथ कांग्रेस में शामिल होंगे. ऐसी भी संभावना है कि बीजेपी नाराण राठवा को लोकसभा उम्मीदवार बना सकती है.