राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता प्रफुल्ल पटेल ने मंगलवार (27 फरवरी) को अपना कार्यकाल पूरा होने से चार साल पहले राज्यसभा सांसद पद से इस्तीफा दे दिया. 67 वर्षीय प्रफुल्ल पटेल कभी शरद पवार के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में से एक थे. वर्तमान में वह अजित पवार गुट के साथ हैं, जिसे चुनाव आयोग ने असली एनसीपी के रूप में मान्यता दी है.
अजित पवार और उनके समर्थकों के महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार में शामिल होने के कारण पार्टी के विभाजन से एक साल पहले जुलाई 2022 में पटेल को पांचवें कार्यकाल के लिए राज्यसभा के लिए चुना गया था. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर प्रफुल्ल पटेल ने इतनी जल्दी इस्तीफा क्यों दिया.
प्रफुल्ल पटेल ने बताई यह वजह
प्रफुल्ल पटेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर खुद बताया है कि उन्होंने यह कदम क्यों उठाया. उन्होंने लिखा, “मुझे 2022-2028 के कार्यकाल के लिए राज्यसभा सांसद के रूप में चुना गया था, लेकिन मैंने इससे इस्तीफा दे दिया है. इसकी वजह ये है कि मैं एक नए कार्यकाल के लिए राज्यसभा जाऊंगा, जो 2024 से 2030 तक प्रभावी होगा.
I was elected as the Rajysabha MP for the tenure of 2022-2028. I have resigned from my 4 year balanced old term of Rajysabha membership as I have been elected on Rajya Sabha for a new term which will be effective from 2024 to 2030. Hence I continue to be the member of the August… pic.twitter.com/ocfYik7P4f
— Praful Patel (@praful_patel) February 27, 2024
एनसीपी दे रही इस्तीफे के पीछे ये तर्क
दूसरी ओर एचटी की रिपोर्ट की मानें तो एनसीपी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा की उम्मीदवारी को लेकर कैडर के अंदर किसी भी तरह के मतभेद से बचने के लिए ही पटेल को दोबारा नामांकित किया गया है. महाराष्ट्र एनसीपी प्रमुख सुनील तटकरे ने कहा था कि यह फैसला एनसीपी शरद पवार गुट की ओर से प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिका से जुड़े कानूनी मुद्दों पर आधारित था. दरअसल, एनसीपी शरद पवार गुट ने दसवीं अनुसूची की धारा 2 (ए) के तहत पटेल के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की है, जो दलबदल के आधार पर अयोग्यता का प्रावधान करती है.
वंदना चव्हाण की जगह जा सकते हैं राज्यसभा
एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, अजित पवार के बड़े बेटे पार्थ समेत पार्टी के करीब 12 नेता राज्यसभा नामांकन के इच्छुक थे. पटेल का इस्तीफा स्वीकार होने से उनके लिए उच्च सदन में वंदना चव्हाण के स्थान पर नया कार्यकाल शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है, जो अप्रैल में अपना कार्यकाल पूरा कर रही हैं. उनके इस्तीफे के साथ, चुनाव आयोग को रिक्ति को भरने के लिए उपचुनाव की घोषणा करनी होगी.