हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार फिलहाल सेफ बताई जा रही है. मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है. राज्यसभा चुनाव में 6 विधायकों के बागी होने के बाद सुक्खू सरकार पर संकट आया था. चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी को शिकस्त दी. परिणाम के बाद बीजेपी नेता और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार अल्पमत में है. उसे सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है. कांग्रेस के इन्हीं बागी विधायकों पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने आज फैसला सुना दिया है. इनकी सदस्यता रद्द कर दी गई है.
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने छह विधायकों को अयोग्य घोषित करने के अपने फैसले के बाद कहा कि कल सदन में वित्त विधेयक पर सरकार के पक्ष में मतदान करने के लिए पार्टी ने व्हिप जारी किया. लेकिन इन विधायकों ने पार्टी के व्हिक का उल्लंघन किया. इसी वजह से इन छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है. खास बात ये है कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा 15 भाजपा विधायकों को निलंबित करने के बाद विधानसभा ने राज्य का बजट पारित कर दिया.
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग से बदला सियासी माहौल
बता दें कि कुछ दिन पहले ही राज्यसभा चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग के बाद से ही हिमाचल प्रदेश में सियासी गहमा गहमी तेज हुई है. कुछ दिन पहले हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने साफ किया था कि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है. राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 विधायकों और 3 निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी कैंडिडेट हर्ष महाजन के लिए क्रॉस वोटिंग की थी. इसके बाद हिमाचल सरकार खतरे में आ गई थी.
“हम पांच साल का टर्म पूरा करेंगे”
उस दौरान सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि जिन विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की, वो भी हमारे संपर्क में हैं. बीजेपी पार्टी को तोड़ना चाहती है, लेकिन कांग्रेस संगठित है. सुक्खू ने कहा था कि कुछ विधायकों की राजनीतिक इच्छा थी. लेकिन उन्हें समझना होगा कि सभी विधायकों की राजनीतिक इच्छा पूरी नहीं की जा सकती. कुछ जगह प्रलोभन था. उसमें से एक विधायक ने तो बड़े दुखी मन से कहा कि बड़ी गलती हो गई. हमारी सरकार सेफ है. हम 5 साल का टर्म पूरा करेंगे.
आपको बता दें कि बीते दिनों हुए राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद हिमाचल प्रदेश की सियासत में हलचलें तेज हो गई थी. राज्यसभा की एकमात्र सीट के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस (Congress) के 6 विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर बीजेपी (BJP) के लिए क्रॉस वोटिंग (Cross Voting)की थी. इसके बाद सरकार पर खतरा मंडरा रहा था. बीजेपी उम्मीदवार को वोट देने वाले कांग्रेस के 6 बागी विधायकों पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. पर्यवेक्षक डीके शिवकुमार और भूपेंद्र सिंह हुड्डा शिमला के सिसिल होटल में एक-एक विधायक से चर्चा कर रहे थे. सियासी संकट के बीच सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने बीजेपी के 15 विधायकों की अप्रत्यक्ष मदद से पहला टेस्ट पास कर लिया है.
हिमाचल में अब आगे क्या?
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के पास 40 विधायक थे. 68 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा 35 का था. छह विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी. इन विधायकों की बगावत के बाद कांग्रेस नंबरगेम में 40 से 34 पर आ गई थी जो बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़े से एक कम था. क्रॉस वोटिंग करने वाले उसके 6 बागी विधायकों को अब स्पीकर ने सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया है. ऐसे में विधानसभा स्ट्रेंथ अब 62 हो गई है. ऐसे में बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा अब 32 हो गया है. बीजेपी के पास राज्य में 25 विधायक हैं और तीन निर्दलीय भी उसके पाले में हैं. वहीं कांग्रेस के चार विधायक आज सीएम के नाश्ते पर नहीं पहुंचे. तो ऐसे में स्पीकर के फैसले के बावजूद अभी भी सरकार पर मंडरा रहा खतरा कम नहीं हुआ है.