सुप्रीम कोर्ट ने आज वोट के बदले नोट मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने ही 26 साल पुराने फैसले को पलटते हुए सांसदों को राहत देने पर असहमति जताई है। कोर्ट ने कहा कि किसी को भी भ्रष्टाचार करने की छूट नहीं दी जा सकती है और न किसी को कानूनों का उल्लंघन करने का विशेषाधिकार नहीं है।
अब शीर्ष न्यायालय के इस फैसले पर पीएम मोदी का रिएक्शन आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “सुप्रीम कोर्ट का एक महान निर्णय लिया है, जो स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करेगा और सिस्टम में लोगों का विश्वास गहरा करेगा।”
SWAGATAM!
A great judgment by the Hon’ble Supreme Court which will ensure clean politics and deepen people’s faith in the system.https://t.co/GqfP3PMxqz
— Narendra Modi (@narendramodi) March 4, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए 1998 के नरसिम्हा राव जजमेंट के अपने फैसले को पलट दिया। भारत के चीफ जस्टिस DY चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संवैधानिक पीठ ने सोमवार पांच जजों की पीठ के 1988 के फैसले की वैधता पर फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया था कि सांसदों और विधायकों को रिश्वत लेने के लिए मुकदमा चलाने से छूट दी गई थी।
JMM विधायक सीता सोरेन के मामले में मिली थी छूट
सांसदों को छूट का सवाल 2019 में सुप्रीम कोर्ट की जांच के दायरे में तब आया, जब तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ जामा से झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) विधायक सीता सोरेन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।सीता सोरेन पर 2012 में राज्यसभा चुनाव में एक उम्मीदवार को वोट देने के लिए रिश्वत लेने का आरोप था।
उन्होंने अपने खिलाफ झारखंड उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी और यह तर्क देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया कि उन्हें अभियोजन से छूट प्राप्त है। इससे पहले, उनके ससुर शिबू सोरेन को झामुमो रिश्वत घोटाले में आरोपी बनाए जाने पर विधायकों को छूट का लाभ मिला था।
शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 1998 में झामुमो रिश्वत मामले में फैसला सुनाया, जिसके द्वारा सांसदों और विधायकों को विधायिका में भाषण देने या वोट देने के लिए रिश्वत लेने के लिए अभियोजन से छूट दी गई थी।