नौकरी के झांसे में रूस गए कुछ भारतीय युवाओं की कहानी बहुत डरावनी है। जिन्हें रूस- यूक्रेन युद्ध के बीच काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह छात्र देश के अलग- अलग राज्यों से हैं, लेकिन एक धागा है जो इन्हें एक साथ पिरो देता है। ये धागा-नौकरी ना मिलने की हताशा, एक यूट्यूब चैनल के झूठ से जुड़ा है।
क्या है कहानी?
हैदराबाद के मोहम्मद अफसान (30) ओर नारायणपेट जिले के मोहम्मद सुफियान (23) नवंबर और दिसंबर में मास्को गए थे। उन्हें एक एजेंट ने कहा कि वे मास्को में उन्हें बेहतर काम दिलवाएगा लेकिन इसके बजाय उन्हें 15 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया और युद्ध के बीच यूक्रेन में छोड़ दिया गया। जहां उन्हें युद्ध लड़ रहे रूसी सैनिकों के साथ रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह दावा उनके परिवार ने किया है।
मोहम्मद अफसान एक कपड़े के शोरूम में सेल्समैन के तौर पर काम करता था लेकिन जब उसे मॉस्को में नौकरी का अवसर मिला तो वह वहां चला गया। उससे वादा किया गया कि शुरुआती तीन महीनों के लिए प्रति माह 45,000 रुपये का वेतन दिया जाएगा और धीरे-धीरे बढ़कर 1.5 लाख रुपये हो जाएगा। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि एक साल तक काम करने के बाद वह रूसी पासपोर्ट और नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है। अफसान इस लुभावने ऑफर के झांसे में आ गया और मॉस्को के लिए 9 नवंबर रवाना हो गया।
अफसान ने रूस-यूक्रेन बॉर्डर से आखिरी वीडियो कॉल 31 दिसंबर को किया था। उसके बाद उससे कोई संपर्क नहीं हुआ है। यह जानकारी उसके परिवार ने दी है। परिवार साथ ही कहा कि, “उसके पैर में गहरी चोट भी लग गई थी और हम केंद्र सरकार से उसे वापस लाने की व्यवस्था करने का अनुरोध करते हैं।”
एक अन्य नौजवान का नाम सुफियान है। वह दुबई में एक पैकिंग कंपनी में काम करता था और प्रति माह 30,000 रुपये कमाता था। सूफियान के भाई सैय्यद सलमान ने बताया कि-सूफियान एक फैसल खान नाम के एजेंट के संपर्क में आया था, जो एक यूट्यूब चैनल चलाता है और उसी ने मॉस्को में इस नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए सूफियान को प्रेरित किया था। सलमान बताते हैं – सूफियान को बताया गया कि नौकरी एक रूसी सरकारी कार्यालय में एक सहायक की जगह है और उन्हें प्रति माह। लाख रुपये से ज़्यादा पैसा मिलेगा। इस दिलासे में वह भी रूस चला गया।
क्या जानकारी हाथ लगी?
अपने भाई को वीडियो कॉल में सुफियान ने बताया कि उसे और भारत के अन्य युवाओं को एक सैन्य शिविर में ले जाया गया है और तीन दिनों के बाद ट्रेनिंग के लिए भेज दिया गया है। सूफियान का परिवार बताता है कि भारतीय युवाओं को युद्ध के बीच सबसे आगे रखा जा रहा है और एक बार तो सूफियान की जान जाती-जाती बची थी। अब सूफियान से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। मॉस्को गए एक और नौजवान समीर के भाई मुस्तफा ने कहा कि चार-पांच दिन पहले समीर ने फोन किया तो वह बेहद डरा हुआ था। उसने मुझसे उसे सुरक्षित निकालने के लिए यहां अधिकारियों से संपर्क करने का अनुरोध किया।
पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत रूसी सेना में सहायक स्टाफ के रूप में काम कर रहे लगभग 20 भारतीय नागरिकों को जल्दी देश वापस लाने के मिशन पर काम कर रहा है। विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, “यह हमारी समझ है कि लगभग 20 लोग (भारतीय) हैं जो रूसी सेना के साथ सहायक स्टाफ या सहायक के रूप में काम करने के लिए वहां गए हैं। हम उन्हें जल्द से जल्द डिस्चार्ज करने के लिए अपने स्तर पर पूरी कोशिश कर रहे हैं।”