प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धनशोधन संबंधी एक मामले की जांच के तहत उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक इरफान सोलंकी और उनके परिवार के सदस्यों के कानपुर स्थित परिसरों पर बृहस्पतिवार को छापे मारे. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. सोलंकी (44) फिलहाल महाराजगंज जेल में हैं. वह सीसामऊ विधानसभा सीट से चौथी बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
सूत्रों ने बताया कि सोलंकी, जेल में बंद उनके भाई रिजवान, शौकत अली, हाजी वसी, नूरी शौकत और कुछ अन्य के कानपुर में लगभग पांच परिसरों और महाराष्ट्र के मुंबई में एक परिसर पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों द्वारा मुहैया सुरक्षा के बीच तड़के छापेमारी की गई. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा सोलंकी और अन्य के खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों के आधार पर ईडी ने उनके विरुद्ध धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था जिसके बाद यह कार्रवाई की जा रही है.
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा के विधायक सोलंकी कई आपराधिक मामलों में दिसंबर 2022 से महाराजगंज जेल में हैं. सोलंकी और रिजवान को पुलिस ने एक महिला को परेशान करने और उसका भूखंड हड़पने के लिए उसके घर में आग लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया था. बाद में उन्होंने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था.
पुलिस ने सोलंकी और रिजवान तथा तीन अन्य पर उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था.
ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दी थी अर्जी
इरफान सोलंकी के वकील मोहम्मद आसिफ खान ने एमपी-एमएलए कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मांग की थी कि उन्हें राज्यसभा चुनाव में वोट डालने की अनुमति दी जाए. इरफान के वकील ने कोर्ट में बीते दिनों झारखंड सीएम हेमंत सोरेन का उदाहरण देते हुए अपील की थी कि जैसे उच्च न्यायालय ने फ्लोर टेस्ट के लिए झारखंड के सीएम को जेल से बाहर जाने की अनुमति दी, वैसे ही इरफान को वोट डालने के लिए अनुमति दी जाए. इस पर सरकारी वकील भास्कर मिश्रा ने कोर्ट में दलील दी थी कि इरफान की याचिका पैरोल या शॉर्ट टर्म बेल जैसी प्रतीत हो रही है. इसके बारे में निर्णय करने का अधिकार ट्रायल कोर्ट को नहीं है. कोर्ट ने इसे मानते हुए अर्जी खारिज कर दी थी.