प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर दक्षिण भारत के दौरे पर जाएंगे. मिशन 400 के तहत पीएम 15 से 19 मार्च तक तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल और तेलंगाना में जनसभा को संबोधित और रोड शो करेंगे. दक्षिण भारत पर बीजेपी ने इस बार ज्यादा फोकस किया है, क्योंकि यहां पर लोकसभा की कुल 131 सीटें आती है, जिसमें तमिलनाडु में 39, कर्नाटक में 28, आंध्र प्रदेश में 25, केरल में 20, तेलंगाना में 17, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में एक-एक सीट है.
अबकी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के लिए सीटों का टारगेट 370 पर का तय किया है और यह तभी पूरा हो सकता है जब बीजेपी दक्षिण के राज्यों में 2019 की तुलना में करिश्माई प्रदर्शन करें. विपक्षी गठबंधन और खासकर कांग्रेस का भी पूरा फोकस दक्षिण पर है, क्योंकि दक्षिण के दो बड़े राज्य कर्नाटक और तेलंगाना में उसकी सरकार है. राहुल गांधी भी केरल की वायनाड सीट से ही लोकसभा सांसद हैं और इस बार भी वह इस सीट से चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस की सहयोगी सीपीआई ने वायनाड सीट से उम्मीदवार उतारकर विपक्षी गठबंधन में गांठ की तस्वीर जरूर साफ किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल और तेलंगाना का 15 से 19 मार्च का दौरा बीजेपी के सपने को साकार करने के लिए काफी अहम है. 2024 के लोकसभा चुनाव में अगर बीजेपी को अकेले 370 पार जाना है तो उसे दक्षिण के राज्यों में ज्यादा से ज्यादा कमल खिलाना ही होगा.
पीएम ने तेलंगाना को बताया दक्षिण का द्वार
अब तक यही कहा जाता रहा कि बीजेपी के लिए दक्षिण का द्वारा कर्नाटक है. दरअसल, कर्नाटक ही दक्षिण भारत का वह पहला राज्य है, जहां बीजेपी ने सरकार बनाई थी. लेकिन तेलंगाना के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने जब यह कहा कि तेलंगाना दक्षिण का द्वार है तो उससे यह साबित हो गया कि अब तेलंगाना के आश्रय बीजेपी दक्षिण भारत में अपना प्रसार करेगी.
तेलंगाना में लोकसभा की 17 सीटें हैं और 2019 में बीजेपी को चार सीट मिली थी, यह 19.65 फीसदी वोट है, जो कर्नाटक के बाद किसी भी दक्षिण भारत के राज्य में बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा है, जबकि 2014 में उसे सिर्फ एक सीट मिली थी और वोट 10 फीसदी के करीब था. 2023 के आखिर में हुए विधानसभा चुनाव में 1 से 8 तक पहुंचने वाली बीजेपी लोकसभा चुनाव में डबल डिजिट में पहुंचाना चाहती थी.
देश की राजनीति को करीब से जानने वाले यह जानते हैं कि जहां-जहां क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत होती है, वहां पर बीजेपी की डगर मुश्किल होती है, लेकिन जहां पर बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस से होता है, वहां पर सीधे-सीधे नरेंद्र मोदी को फायदा मिलता है. तेलंगाना में बीआरएस सत्ता से बेदखल हो चुकी है और अब उसे टकराना बीजेपी के लिए ज्यादा मुश्किल नहीं है. सत्ता में कांग्रेस है और राष्ट्रीय स्तर पर उसे चुनौती देना और हराना बीजेपी के लिए आसान रहा है.
कर्नाटक में कटेंगे कई टिकट
वहीं कर्नाटक में बीजेपी ने 28 में से 25 सीटें 2019 के लोकसभा चुनाव में जीती थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद इस पर प्रश्न चिन्ह लगा है. यहां पर बीजेपी को अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराना बड़ी चुनौती है, ऐसे में बीजेपी के रिसर्च टीम जमीनी स्तर पर पूरी तरह से लगी हुई है. सूत्रों ने बताया कि भाजपा कर्नाटक के मौजूदा 25 सांसदों में 11 से 12 सांसदों का फीडबैक ठीक नहीं है यानी इन सांसदों का टिकट कट सकता है. इसके अलावा बीजेपी यहां पर जेडीएस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है, ताकि विधानसभा में हुए नुकसान को कम किया जा सके.
तमिलनाडु में विपक्ष को भारी पड़ेगी श्रीराम पर बयानबाजी
आंध्र प्रदेश में बीजेपी ने चंद्रबाबू नायडू और पवन कल्याण के साथ गठबंधन किया. तमिलनाडु और केरल में उसके सामने कठिन चुनौती है. हालांकि केरल में सद्भाव यात्रा के जरिए मुस्लिम और ईसाई वोटों तक वह पहुंच रही है. केरल में कांग्रेस और लिफ्ट एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं तो बीजेपी के लिए अवसर भी है. इसके साथ ही तमिलनाडु में जिस तरह से इंडिया गठबंधन के नेता सनातन धर्म, हिंदी भाषा और भगवान श्रीराम को लेकर सवाल खड़े करते हैं, उससे कांग्रेस भी असहज दिख रही है और बीजेपी ने इससे बड़ा मुद्दा बना दिया है. प्रधानमंत्री मोदी अपनी रैलियों में अक्सर इस मुद्दे पर बोलते भी है और भगवान श्रीराम का जिक्र भी करते हैं.
लेफ्ट-कांग्रेस की लड़ाई से मिलेगा फायदा
केरल में लोकसभा की 20 सीटें हैं, लेकिन पिछले चुनाव में यहां बीजेपी का खाता तक नहीं खुला. 2024 में बीजेपी को केरल में दोहरे अंक में सीट मिलेगी या नहीं यह तो नतीजे से पता चले, लेकिन 2014 और 2019 में बीजेपी को इस राज्य में कितने वोट मिले थे उस अंकगणित के अनुसार, 2014 और 2019 के चुनाव में बीजेपी तिरुवनंतपुरम सीट पर दूसरे नंबर पर थी जबकि 2019 में उसे सहयोगी पार्टी बीजेडीएस के दो फीसदी वोट को जोड़कर कुल 15 फीसदी वोट मिले थे.
हालांकि लेफ्ट और कांग्रेस इंडिया गठबंधन का हिस्सा है, लेकिन केरल में यह दोनों एक-दूसरे के खिलाफ ही मैदान में हैं. यहां तक की लेफ्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ भी उम्मीदवार खड़ा किया है. ऐसे में इस बार बीजेपी के लिए यहां पर काफी मौका है.
2024 में पुडुचेरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने में बीजेपी के स्थानीय इकाई के अध्यक्ष वी. स्वामीनाथन ने रुचि दिखाई है. पुडुचेरी लोकसभा सीट पर बीजेपी की प्रमुख सहयोगी पार्टी अखिल भारतीय एन.आर. कांग्रेस (एआईएनआरसी) पार्टी ने 2014 और 2019 में चुनाव लड़ा था. एआईएनआरसी पार्टी ने 2014 में यह सीट जीती और 2019 में कांग्रेस से हार गई थी.