AI आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कुछ सालों में ऐसी तकनीक बनकर उभरा है कि इसे टेक्नॉलजी का भविष्य माना जा रहा है. लेकिन यह कितना खतरनाक भी हो सकता है इसकी तस्दीक तो हाल के दिनों में डीप फेक वीडियो के बढ़ते मामले ही करते हैं. यही वजह है कि दुनियाभर के कई देश इस बात पर जोर दे रहे हैं कि AI को कैसे पूरी तरह सेफ एंड सिक्योर बनाया जाए. इस दिशा में एक कोशिश अमेरिका ने की है. अमेरिका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर संयुक्त राष्ट्र में पहला प्रस्ताव लाने जा रहा है.
यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया जब भारत सरकार भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. “इंडिया एआई मिशन” भी लॉंच किया गया है जिसके तहत आने वाले पांच सालों में 10 हजार 372 करोड़ रुपये खर्च करने की मंजूरी दे दी गई है. भारत सरकार निजी कंपनियों को सब्सिडी देगी जिससे एआई रिसर्च और विकास के काम में तेजी आएगी.
अमेरिका के प्रस्ताव में किन बातों पर जोर
इस प्रस्ताव का पहला मकसद यह सुनिश्चित करना है कि नई तकनीक सुरक्षित और भरोसेमंद हो. दूसरा मकसद सभी विकासशील दुनिया के देशों तक इसकी समान पहुँच बनाना है. इस मसौदे का उद्देश्य यह भी है कि देशों के बीच डिजिटल विभाजन को खत्म किया जाए ताकि एआई पर चर्चा में सभी एक मेज पर आ सकें. हर देश के पास एआई के लाभ जैसे बीमारियों का पता लगाना, बाढ़ की भविष्यवाणी और श्रमिकों की अगली पीढ़ी को ट्रेन करने के लिए तकनीक और क्षमताएं हों.
AI को बढ़ावा देने की ओर ऐतिहासिक कदम
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास और इस्तेमाल में तेजी लाने पर भी इस प्रस्ताव में जोर दिया जाएगा. अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि अमेरिका ने एआई तकनीक और इससे जुड़े खतरों पर और गहन बातचीत के लिए ही संयुक्त राष्ट्र महासभा का रूख किया है.अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है, तो यह दुनिया भर में सुरक्षित और भरोसेमंद एआई को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होगा. अमेरिका ने लगभग तीन महीने पहले 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों के साथ बातचीत शुरू की थी. बातचीत 42 घंटे चली और 120 देशों ने इनपुट दिए. प्रस्ताव को सभी सदस्य राज्यों से सर्वसम्मति से समर्थन मिला है.
UN के 2030 विजन को सहारा देगा AI
अमेरिका की तरफ से लाए गए मसौदे का एक लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र महासभा के विजन 2030 में एआई के इस्तेमाल से तेजी लाना भी है. विजन 2030 में अत्यधिक गरीबी, भुखमरी को खत्म करना, लैंगिक समानता, जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण कदम उठाना शामिल है. अमेरिका का कहना है कि यूएन अपने टार्गेट को हासिल करने में पिछड़ रहा है. आपको बता दें कि यूरोपीय संघ के सांसद भी दुनिया के पहले व्यापक एआई नियमों को अंतिम मंजूरी देने के लिए तैयार हैं. अमेरिका और चीन सहित दुनिया भर के देश भी एआई नियम बनाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं.