चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर शीर्ष अदालत को सौंपे गए चुनावी बॉन्ड पर सीलबंद लिफाफे वापस करने की मांग की है। आयोग ने कहा कि उसने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के आदेशों के तहत सीलबंद लिफाफे में चुनावी बॉन्ड की जानकारी सौंपी थी। सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई करेगी। 11 मार्च, 2024 के आदेश के अनुसार, चुनाव आयोग ने एसबीआई के उसे दिए गए चुनावी बॉन्ड का डाटा अपलोड कर दिया है।
कोर्ट ने दिया था यह आदेश
दरअसल, चुनावी बांड मामले में शीर्ष अदालत ने 11 मार्च को एसबीआई को निर्देश दिया था कि वह 12 मार्च को चुनाव आयोग को बांड के विवरण का खुलासा करे। शीर्ष अदालत ने 11 मार्च को आदेश देते हुए कहा था कि अदालत के समक्ष ईसीआई द्वारा दायर किए गए बयानों की प्रतियां ईसीआई के कार्यालय में रखी जाएं।
एडीआर की याचिका पर भी हो सकती है सुनवाई
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के चयन के लिए एक समिति से प्रधान न्यायाधीश को बाहर करने को चुनौती देने वाले गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) की तरफ से दायर एक अलग याचिका पर भी आज सुनवाई होनी है, हालांकि, यह मामला सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर शुक्रवार की कार्य सूची में नहीं दिखाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना पर लगा दी थी रोक
बीती 15 फरवरी को पांच जजों की संविधान पीठ ने केंद्र की इलेक्टोरल बॉन्ड्स योजना को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के एकमात्र फाइनेंशियल संस्थान एसबीआई बैंक को 12 अप्रैल 2019 से अब तक हुई इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीद की पूरी जानकारी 6 मार्च तक देने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को निर्देश
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 12 मार्च को एनजीओ का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण से कहा था कि चयन समिति से प्रधान न्यायाधीश को बाहर करने की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की जाएगी. चुनावी बॉन्ड मामले में, शीर्ष अदालत ने 11 मार्च को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को निर्देश दिया था कि वह 12 मार्च को कामकाजी घंटों के अंत तक निवार्चन आयोग को बॉन्ड के विवरण का खुलासा करे.
SC ने 11 मार्च के आदेश में क्या कहा?
निर्वाचन आयोग ने नई अर्जी में कहा है कि शीर्ष अदालत ने 11 मार्च के अपने आदेश में कहा था कि “इस अदालत के समक्ष निर्वाचन आयोग द्वारा दाखिल विवरण की प्रतियां निर्वाचन आयोग के कार्यालय में रखी जाएंगी.” अर्जी में कहा गया, “न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के अनुपालन में और उपरोक्त विवरण/डेटा की गोपनीयता बनाए रखने के लिए, निर्वाचन आयोग ने उसकी कोई भी प्रति अपने पास रखे बिना प्राप्त दस्तावेजों को सीलबंद लिफाफे/पेटियों में न्यायालय को भेज दिया.” अर्जी में ये भी कहा गया, “मामले में इस अदालत के समक्ष निर्वाचन आयोग द्वारा दाखिल किए गए दस्तावेजों की कोई भी प्रति उसके पास कभी नहीं रखी गई थी.”