प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की और एक बार फिर से राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर उन्हें बधाई दी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि फोन पर हुई बातचीत के दौरान दोनों नेता भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और गहरा और विस्तारित करने के लिए मिलकर काम करने के लिए सहमत हुए. रूस के कद्दावर नेता पुतिन ने पिछले दिनों संपन्न हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में भारी मतों से जीत हासिल की और इस पद के लिए पांचवां कार्यकाल हासिल किया.
पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर दी जानकारी
पीएम मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘राष्ट्रपति पुतिन के साथ बात की और रूसी संघ के राष्ट्रपति के रूप में उनके फिर से चुने जाने पर उन्हें बधाई दी. हम आने वाले वर्षों में भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और गहरा और विस्तारित करने के लिए मिलकर काम करने के लिए सहमत हुए.” पुतिन दिसंबर 1999 से राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के तौर पर रूस का नेतृत्व कर रहे हैं.
Spoke with President Putin and congratulated him on his re-election as the President of the Russian Federation. We agreed to work together to further deepen and expand India-Russia Special & Privileged Strategic Partnership in the years ahead. @KremlinRussia
— Narendra Modi (@narendramodi) March 20, 2024
रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान पर हुई चर्चा
पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति के बीच बातचीत को लेकर अधिकारियों ने बताया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा करते हुए मोदी ने आगे बढ़ने के लिए बातचीत और कूटनीति के पक्षधर के तौर पर भारत के रुख को दोहराया. उनके मुताबिक दोनों नेताओं ने संपर्क में रहने पर सहमति जताई. रूस के कद्दावर नेता पुतिन ने पिछले दिनों संपन्न हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में भारी मतों से जीत हासिल की और इस पद के लिए पांचवां कार्यकाल हासिल किया है.
रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीते हैं व्लादिमीर पुतिन
रूस के कद्दावर नेता व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में भारी मतों से जीत हासिल कर ली है। रूस के केंद्रीय चुनाव आयोग ने सोमवार को कहा कि देश में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में व्लादिमीर पुतिन ने जीत दर्ज की है और उन्होंने रिकॉर्ड मत प्रतिशत के साथ राष्ट्रपति पद का पांचवां कार्यकाल हासिल किया है. चुनाव में पुतिन की जीत देश की राजनीतिक व्यवस्था पर उनके नियंत्रण को रेखांकित करती है. पुतिन के सामने नाममात्र के सिर्फ तीन उम्मीदवार थे और यूक्रेन युद्ध का विरोध करने वाले किसी भी व्यक्ति को पुतिन के खिलाफ चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी गयी थी.