पेरू में रिवर डॉल्फिन की 16 मिलियन साल पुरानी जीवाश्म खोपड़ी मिली है। वैज्ञानिकों के मुताबिक खास बात ये है कि इसकी करीबी रिश्तेदार भारत की गंगा नदी में दक्षिण एशियाई रिवर डॉल्फिन है। वैज्ञानिक इस खोज को अहम मान रहे हैं और डॉल्फिन जीवाश्म विज्ञानी रोडोल्फो सालास ने कहा कि खोपड़ी दक्षिण अमेरिका के पानी में रहने वाली ज्ञात सबसे बड़ी डॉल्फिन की थी। माना जा रहा है डॉल्फिन की लंबाई 3 से 3.5 मीटर (9.8 से 11.4 फीट) थी। वैज्ञानिकों को नेपो नदी पर नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी की ओर से प्रायोजित 2018 अभियान के दौरान जीवाश्म मिला था।
रखा गया नाम
डॉल्फिन जीवाश्म विज्ञानी रोडोल्फो सालास का कहना है, ‘डॉल्फिन भारत में गंगा नदी की डॉल्फिन से संबंध रखती है।’ उन्होंने कहा कि पेरू में पाई जाने वाली डॉल्फिन एशिया में अपने जीवित रिश्तेदारों से खासी बड़ी है। जीवाश्म विज्ञानी के मुताबिक दोनों डॉल्फिन के पूर्वज पहले समुद्र में रहते थे। डॉल्फिन का नाम पेबनिस्टा याकुरुना रखा गया है जो गहरे पानी में रहने वाले पेरू के पौराणिक प्राणी याकुरुना के नाम से प्रभावित है।
सालास ने कहा, “इससे उन्हें भारत और दक्षिण अमेरिका के तटों के पास बड़े समुद्री स्थानों पर कब्जा करने की इजाजत मिली. ये जानवर अमेज़ॅन और भारत दोनों में मीठे पानी के वातावरण में रहते थे. दुख की बात है कि वे अमेज़ॅन में विलुप्त हो गए, लेकिन भारत में वो जीवित रहे हैं.”
समय के साथ विलुप्त हो गई प्रजाति
रोडोल्फो ने कहा, ‘रिवर डॉल्फिन अमेजन और भारत दोनों में मीठे पानी के वातावरण में रहती थी लेकिन समय के साथ डॉल्फिन की ये प्रजाति अमेजन से विलुप्त हो गई, भारत में ये आज भी जीवित है।’ गौर करने वाली बात ये भी है कि अमेजन और ओरिनोको नदी घाटियों में अभी भी रिवर डॉल्फिन से इतन डॉल्फिन मिलती हैं जिन्हें बोटो कहा जाता है।
इस स्टडी को जर्नल साइंस एडवांस में पब्लिश किया गया है. वैज्ञानिकों को नेपो नदी पर नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी द्वारा प्रायोजित 2018 अभियान के दौरान जीवाश्म मिला था.
अमेज़ॅन और ओरिनोको नदी घाटियां अभी भी अमेज़ॅन रिवर डॉल्फ़िन नामक प्रजाति का घर हैं, जिसे पिंक रिवर डॉल्फ़िन या बोटो भी कहा जाता है.