जेल में बंद अलगाववादी शब्बीर अहमद शाह की बेटी समा शब्बीर और पाकिस्तान समर्थक दिवंगत सैयद अली शाह गिलानी की पोती रुवा शाह ने खुद को अलगाववादी विचारधारा से अलग कर लिया है. दोनों ने भारत की संप्रभुता के प्रति अपनी निष्ठा की घोषणा की है. स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित एक जैसे सार्वजनिक नोटिस में उन्होंने खुद को अलगाववादी राजनीति से दूर करने का ऐलान किया है.
गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश की बेटी रुवा शाह ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया और खुद को उनके दिवंगत दादा द्वारा स्थापित हुर्रियत कॉन्फ्रेंस गुट से अलग कर लिया है. उन्होंने यह भी घोषणा की कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की विचारधारा के प्रति उनका कोई झुकाव या सहानुभूति नहीं है. बताते चलें कि सैयद अली शाह गिलानी अलगाववादी राजनीति के केंद्र में थे और कट्टरवादी हुर्रियत के अध्यक्ष रहे हैं. गिलानी ने हमेशा पाकिस्ताप परस्त राजनीति की. 2021 में उनका निधन हो गया था.
‘मै भारत के संविधान में निष्ठा रखूंगी’
रुवा शाह ने इस सप्ताह की शुरुआत में स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित नोटिस में कहा, मैं भारत की एक वफादार नागरिक हूं और ऐसे किसी संगठन या संघ से संबद्ध नहीं हूं जिसका भारत संघ के खिलाफ एजेंडा है और मैं अपने देश (भारत) के संविधान के प्रति निष्ठा रखती हूं. रुवा के पिता कथित आतंकी फंडिंग के आरोप में जेल में बंद रहे हैं. पिछले साल लंबी बीमारी के बाद उनकी मृत्यु हो गई थी.
‘समा शब्बीर ने भी अखबार में दिया सार्वजनिक नोटिस’
इसी तरह, कश्मीर में सीबीएसई की पूर्व टॉपर 23 वर्षीय समा शब्बीर ने गुरुवार को एक स्थानीय समाचार पत्र में सार्वजनिक नोटिस में प्रकाशित करवाया है. इसमें उन्होंने एक वफादार भारतीय नागरिक के रूप में अपनी स्थिति पर जोर दिया और स्पष्ट रूप से अपने पिता द्वारा स्थापित प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन से खुद को दूर कर लिया. समा शब्बीर के पिता शब्बीर शाह फिलहाल मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद हैं.
‘मैं DFP या उसकी विचारधारा नहीं जुड़ी हूं’
शाह की बड़ी बेटी समा शब्बीर ने नोटिस में कहा, मैं भारत की एक वफादार नागरिक हूं और मैं ऐसे किसी व्यक्ति या संगठन से संबद्ध नहीं हूं जो भारत संघ की संप्रभुता के खिलाफ है. समा शब्बीर ने कहा, मैं किसी भी तरह से डीएफपी या इसकी विचारधारा से नहीं जुड़ी हूं. उन्होंने चेतावनी दी कि बिना अनुमति के उन्हें अलगाववादी समूह से जोड़ने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि शब्बीर शाह ने मई 1998 में जम्मू और कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी (JKDFP) की स्थापना की थी. ये एक अलगाववादी राजनीतिक पार्टी है. हालांकि, पिछले साल अक्टूबर में केंद्र सरकार ने यूएपीए के तहत उनके संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था.
‘शब्बीर पर आतंकी फंडिंग के आरोप’
शब्बीर अहमद शाह (70) को 2017 में प्रवर्तन निदेशालय ने आतंकी फंडिंग से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था. बाद में कथित आतंकी फंडिंग के आरोप में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने भी उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की है.
‘समा ने यूके में कानूनी पढ़ाई की’
यह मामला 2005 की घटना से जुड़ा है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कथित हवाला डीलर मोहम्मद असलम वानी को नकदी के साथ पकड़ा था. हवाला डील से कथित तौर पर शाह का कनेक्शन सामने आया था. मामले में समा को 2019 में ईडी ने तलब किया था, लेकिन उस समय वो पेश नहीं हुईं थीं. तब वे यूनाइटेड किंगडम में कानून की पढ़ाई कर रही थीं.