कर्नाटक के पूर्व मंत्री और खनन कारोबारी जी जनार्दन रेड्डी लोकसभा चुनाव से पहले सोमवार को फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए.रेड्डी ने पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के साथ अपना दो दशक पुराना नाता तोड़कर ‘कल्याण राज्य प्रगति पक्ष’ (केआरपीपी) का गठन किया था. वह अवैध खनन मामले में आरोपी हैं और गंगावती के विधायक हैं.
रेड्डी ने आज अपने केआरपीपी का भाजपा में विलय कर दिया और वह अपनी पत्नी अरुणा लक्ष्मी एवं परिवार के कुछ सदस्यों के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र और अन्य की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हो गए. रेड्डी ने हाल में दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी.
हालांकि हाल में राज्यसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को समर्थन दिया था. भाजपा में शामिल होने को ‘घर वापसी’ बताते हुए रेड्डी ने कहा कि केआरपीपी का भाजपा में विलय करने का कदम ‘नरेन्द्र मोदी के हाथों को मजबूत करना और उन्हें तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाना है.’
उन्होंने कहा, “ अमित शाह ने मुझे दिल्ली में बुलाया था और मुझसे कहा था कि – बाहर से समर्थन देने (केआरपीपी द्वारा लोकसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन देने) का कोई सवाल ही नहीं है और इसके बजाय मुझे भाजपा में शामिल होना चाहिए और पार्टी के लिए काम करना चाहिए क्योंकि मैंने अपना राजनीतिक सफर इस पार्टी में शुरू किया था. इसे (प्रस्ताव को) स्वीकार करते हुए मैं पार्टी में शामिल हो रहा हूं.”
विजयेंद्र ने कहा, “ इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए भाजपा और जद (एस) गठबंधन राज्य की सभी 28 लोकसभा सीट पर जीत हासिल करे, वह अपनी केआरपीपी का भाजपा में विलय कर रहे हैं और पार्टी में शामिल हो रहे हैं.
बीजेपी से विधान परिषद सदस्य रह चुके हैं रेड्डी
जनार्दन रेड्डी तब सुर्खियों में आए, जब उन्होंने 1999 के लोकसभा चुनाव में पूर्व केंद्री मंत्री सुषमा स्वराज के लिए अपने भाइयों के साथ प्रचार किया, जब वह बेल्लारी से सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ी थीं. 2006 में रेड्डी को बीजेपी ने कर्नाटक विधान परिषद का सदस्य बनाया था. ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने 2008 के विधानसभा चुनाव में बीएस येदियुरप्पा के साथ अहम भूमिका निभाई थी, जिराने बीजेपी के लिए पहली बार दक्षिणी राज्य में सरकार बनाने का रास्ता साफ किया था. उन्हें वीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार में पर्यटन और बुनियादी ढांचा मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था, बाद में उन्हें राजस्व मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया, जिससे उन्हें राज्य के खनन उद्योग पर नियंत्रण मिल गया.
जनार्दन रेड्डी के लिए हालात तब खराब हो गए, जब 2011 में, कर्नाटक में भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था लोकायुक्त ने राज्य में अवैध खनन पर एक रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट में उन्हें और उनके भाई करुणाकर रेड्डी को एक खनन माफिया के सरगना के रूप में नामित किया गया था, जिसने राज्य के खजाने को 16 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया था..
2015 में मिली थी जमानत
जनार्दन रेड्डी को सितंबर 2011 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने कर्नाटक के बेल्लारी और आध्र प्रदेश के अनंतपुर में करोड़ों रुपये के अवैध लौह अयस्क खनन के मामले में गिरफ्तार किया था. वह 2015 से जमानत पर बाहर हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत शर्तों के मुताबिक उन्हें बेल्लारी के साथ-साथ आंध्र प्रदेश के अनंतपुर और कडप्पा जाने पर भी प्रतिबंध है.
इस दौरान 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने मोलकालमुरु विधानसभा क्षेत्र में अपने करीबी दोस्त और पूर्व मंत्री बी श्रीरामुलु के लिए प्रचार किया था. साल 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा था कि ‘भाजपा का जनार्दन रेड्डी से कोई लेना-देना नहीं है.’