विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा से यहां मुलाकात की. कुलेबा भारत की दो दिवसीय यात्रा पर बृहस्पतिवार को यहां पहुंचे थे. जयशंकर ने कुलेबा के साथ अपनी बातचीत से पहले सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘हैदराबाद हाउस में यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा का स्वागत है. आज होने वाली हमारी चर्चा को लेकर उत्सुक हूं.”
Pleased to co-chair the review meeting of our Inter-Governmental Commission with FM @DmytroKuleba of Ukraine.
Noted the importance of further strengthening cooperation in all domains. Our immediate goal is to get trade back to earlier levels.
Perspectives on trade, health,… pic.twitter.com/2nJ7RQiERN
— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) March 29, 2024
कुलेबा की यात्रा दो साल से अधिक समय से जारी रूस-यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के प्रयासों के बीच हो रही है. कुलेबा ने बृहस्पतिवार को ‘एक्स’ पर पोस्ट किया था, ‘‘मैंने विदेश मंत्री एस जयशंकर के आमंत्रण पर नयी दिल्ली की अपनी यात्रा शुरू की है. यूक्रेन-भारत सहयोग महत्वपूर्ण है और हम संबंधों को और मजबूत करेंगे. (यूक्रेन के) राष्ट्रपति (वोलोदिमीर) जेलेंस्की, और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच बातचीत के आधार पर, हम शांति फॉर्मूला पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करेंगे.”
उन्होंने कहा था, ”वे पूर्व में आयोजित अंतर-सरकारी आयोग की भी समीक्षा करेंगे.” जायसवाल ने कहा था कि दोनों नेता साझा चिंता के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा था कि यूक्रेन के विदेश मंत्री के लिए कई अन्य कार्यक्रम भी निर्धारित हैं.
An open and wide-ranging conversation with Ukraine FM @DmytroKuleba this afternoon.
Our discussions focused on the ongoing conflict and its wider ramifications. Exchanged views on various initiatives in that context.
Spoke as well on global and regional issues of interest to… pic.twitter.com/rxoeW8UKhB
— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) March 29, 2024
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्विट्जरलैंड में शांति सम्मेलन पर भारत के रुख के संबंध में पूछे जाने पर कहा था, ‘शांति पहल और यूक्रेन-रूस संघर्ष को हम कैसे देखते हैं, इस पर हमारा रुख बहुत स्पष्ट है. हम बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान को प्रोत्साहित करना जारी रखे हुए हैं और उन सभी तरीकों को अपनाने को तैयार हैं जो इस उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद कर सकते हों.’