सुप्रीम कोर्ट ज्ञानवापी की अंजुमन मसाजिद इंतजामिया कमेटी की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा। विवादित ढांचे के दक्षिणी छोर पर स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-अर्चना करने की अनुमति देने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को मस्जिद कमेटी ने चुनौती दी है।
इंतजामिया कमेटी की याचिका पर एक अप्रैल को सुनवाई
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्दीवाला और मनोज मिश्रा की खंडपीठ वाराणसी में कथित ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख कर रही अंजुमन मसाजिद इंतजामिया कमेटी की याचिका पर एक अप्रैल को सुनवाई करेगी। इस याचिका में 26 फरवरी के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए पूजा-अर्चना पर रोक लगाने की मांग की है।
मस्जिद के व्यास तहखाने में पूजा के फैसले को चुनौती
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कमेटी की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें जिला अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर से लगी मस्जिद के व्यास तहखाने में पूजा करने के फैसले को चुनौती दी है। वाराणसी की अदालत ने 31 जनवरी को दिए अपने आदेश में हिन्दू श्रद्धालुओं को ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा अर्चना करने की अनुमति दी थी।
सुनवाई अदालत के समक्ष
काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर से नामित हिन्दू पुजारी और याचिकाकर्ता शैलेंद्र कुमार पाठक का कहना है कि उनके परनाना सोमनाथ व्यास दिसंबर, 1993 तक इस तहखाने में पूजा-अर्चना करते थे। लेकिन छह दिसंबर, 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने तहखाने में पूजा बंद करवा दी थी। हालांकि सुनवाई अदालत के समक्ष मुस्लिम पक्ष का दावा था कि तहखाने में कभी कोई मूर्ति थी ही नहीं। इसलिए 1993 तक वहां पूजा होने का सवाल ही नहीं उठता है।