सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि कानूनी रिसर्च और न्यायपालिका को नया आकार देने में टेक्नोलॉजी खासतौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की भूमिका काफी अहम है. शनिवार 13 अप्रैल को आयोजित भारत-सिंगापुर न्यायिक सम्मेलन में सीजेआई ने एआई को गेम-चेंजर बताया. इस दौरान उन्होंने कोलंबिया और भारत के उदाहरणों का हवाला देते हुए उन खास उदाहरणों को स्पष्ट किया और कहा कि एआई विशेष रूप से चैट-जीपीटी का उपयोग अदालती निर्णय में किया गया था.
यही नहीं सीजेआई ने सम्मेलन में बताया कि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने लाइव ट्रांसक्रिप्शन सेवाओं की शुरुआत की है जिसका मकसद कानूनी जानकारी तक पहुंच बढ़ाना है. उन्होंने कहा कि यह पहल भाषाई विविधता को संबोधित करने में खास तौर से प्रभावशाली रही है क्योंकि लाइव ट्रांसक्रिप्शन सेवाएं न्यायिक कार्यवाही का 18 क्षेत्रीय भाषाओं और हिंदी में अनुवाद करती हैं. इसका उपयोग करके कानूनी जानकारी पूरे भारत में नागरिकों के लिए आसान है. उन्होंने कहा कि इस तकनीक से न केवल समय की बचत होती है बल्कि न्याय तक पहुंच बनाने में भी सुधार होता है.
सीजेआई चंद्रचूड़ ने दिए चैटजीपीटी के उदाहरण
इसके साथ ही सीजेआई चंद्रचूड़ ने बताया कि 2023 में कोलंबियाई न्यायाधीश जस्टिस जुआन मैनुअल पाडिला ने एक ऑटिस्टिक बच्चे के लिए बीमा दावों से जुड़े मामले में फैसला देने के लिए चैटजीपीटी का उपयोग किया था. उन्होंने बताया कि कैसे भारत में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक जमानत याचिका में चैटजीपीटी से जानकारी मांगी थी. हालांकि इस दौरान उन्होंने अदालती कार्यवाही में एआई एकीकरण से जुड़े नैतिक और कानूनी विचारों को नजरअंदाज करने को लेकर आगाह भी किया.
‘एआई का उपयोग अवसर और चुनौतियां दोनों देता है’
सीजेआई ने कहा कि अदालत के निर्णय में एआई का उपयोग अवसर और चुनौतियां दोनों प्रस्तुत करता है, जिन पर गहन विचार-विमर्श की जरूरत होती है. इसके साथ ही उन्होंने एआई सिस्टम में मौजूद संभावित गलतियों और पूर्वाग्रहों के बारे में चिंताओं को उजागर किया साथ ही एआई उपयोग में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता के महत्व पर प्रकाश डाला.
सीजेआई ने की भारत की प्रगति की सराहना
सीजेआई चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका को आधुनिक बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में भारत की प्रगति की सराहना की. उन्होंने कहा कि भारत एक जीवंत तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र और एक समृद्ध कानूनी विरासत का दावा करता है. उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ई-कोर्ट परियोजना का उद्देश्य अदालती प्रक्रियाओं को कम्प्यूटरीकृत करना, केस रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने के साथ ही न्यायपालिका के सभी स्तरों पर ऑनलाइन केस प्रबंधन प्रणाली स्थापित करना है.
इसके आगे उन्होंने भारत-सिंगापुर के बीच संबंधों पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कानून का शासन बनाए रखने और न्याय तक पहुंच को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को लेकर दोनों देशों की सराहना की. सीजेआई ने कहा कि भारत और सिंगापुर ना केवल गहरे सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध साझा करते हैं, बल्कि कानून के शासन को बनाए रखने और न्याय तक पहुंच को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता भी साझा करते हैं.