सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भगवान शिव के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने और तस्वीरें पोस्ट करने के आरोपी को राहत देने से इनकार किया है. कोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द करने से इनकार करते हुए शुक्रवार को कहा, धार्मिक अपमान का कृत्य जानबूझकर किया गया.
हाई कोर्ट ने कहा कि अपमानजनक टिप्पणियों की प्रकृति और जानबूझकर शिवलिंग की अपमानजनक तस्वीर पोस्ट करने से यह स्पष्ट है कि आवेदक ने एक विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने का दुर्भावनापूर्ण इरादा था.
कोर्ट ने और क्या कहा ?
अदालत ने कहा, इस तरह की कार्रवाइयों को केवल निजी विचार की अभिव्यक्ति के रूप में माफ नहीं किया जा सकता है, बल्कि उन्हें उसी रूप में पहचाना जाना चाहिए जैसे वे हैं. किसी विशेष समुदाय की भावनाओं का अपमान करने और उन्हें चोट पहुंचाने के धार्मिक निंदा के कृत्य जानबूझकर किए गए हैं.
हाई कोर्ट ने कहा कि हमारे राष्ट्र का धर्मनिरपेक्ष ताना-बाना व्यक्तियों से संयम बरतने और ऐसे कार्यों से दूर रहने की मांग करता है, जो किसी भी धार्मिक समुदाय को नुकसान या अपराध पहुंचा सकते हैं. आवेदक का कार्य, जो धार्मिक भावनाओं के प्रति घोर उपेक्षा प्रदर्शित करते हैं, उसको केवल असावधानी के रूप में नहीं देखा जा सकता है, बल्कि यह हमारे बहुलवादी समाज के पोषित मूल्यों का जानबूझकर किया गया अपमान होगा.