हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. प्रदेश के प्रभारी सचिव और प्रियंका गांधी के करीबी तजिंदर सिंह बिट्टू ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. भाजपा महासचिव विनोद तावड़े और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. आज ही उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था. बता दें कि तजिंदर सिंह को लेकर पिछले कई दिनों से यह कयास लगाया जा रहा था कि वे जल्द ही कांग्रेस का हाथ छोड़ सकते हैं क्योंकि बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ उनकी लगातार बैठकें चल रही थीं.
#WATCH | Tajinder Singh Bittu, who resigned from Congress today, joins BJP at the party headquarters in Delhi in the presence of Union Minister Ashwini Vaishnaw and party general secretary Vinod Tawde
Tajinder Singh Bittu resigned from his post of AICC Secretary In-Charge… pic.twitter.com/LaTBgI315v
— ANI (@ANI) April 20, 2024
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेजे इस्तीफे में उन्होंने लिखा था,मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता और एआईसीसी, हिमाचल प्रदेश के सचिव सह-प्रभारी पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं.’
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में हाल ही में कांग्रेस सरकार पर संकट आ गई थी. कांग्रेस के छह विधायक बागी हो गए थे. राज्यसभा चुनाव के दौरान ये सभी 6 विधायकों ने बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर दिया था, जिससे कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद सभी विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. हालांकि, किसी भी तरह सुक्खू की सरकार बच गई.
तेजिंदर बीट टू जालंधर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष भी रहे हैं। वह काफी तेज तरार नेता हैं। उन्होंने आज सुबह ही कांग्रेस के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वह प्रियंका गांधी के करीबी माने जाते हैं।
2019 में फिर ज्वाइन की कांग्रेस
पंजाब के जालंधर के रहने वाले तेजिंदर सिंह बिट्टू कांग्रेस में पिछले कई वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे थे। वह काफी लंबे समय से सियासत से दूर भी रहे। लेकिन वर्ष 2019 में जब पंजाब में कांग्रेस सरकार आई तो उन्हें पंजाब राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड (पनसप) का चेयरमैन बनाया गया। यहां से उन्होंने एक बार फिर राजनीति में प्रवेश किया।
कैप्टन अमरिंदर के रहे करीबी
कांग्रेस सरकार के साल 2002 से 2007 के कार्यकाल में बिट्टू ने इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन से लेकर सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबियों के रूप में जालंधर में अपनी अलग पहचान बनाई थी।
इस दौरान वह कई बार विरोधियों के निशाने पर भी आए, लेकिन हमेशा ही बिट्टू ने अपनी तरफ विरोधियों द्वारा छोड़े गए सियासी तीरों की दिशा मोड़कर विरोधियों को शांत कर दिया।
साल 2007 में सूबे में आई अकाली-भाजपा सरकार बनते ही सबसे पहले कांग्रेसियों में बिट्टू ही निशाने पर आए थे। कैप्टन व उनके पूर्व मीडिया सलाहकार भरतइंदर सिंह चहल के करीबी होने के चलते सुखबीर सिंह बादल ने सरकार में आते ही सबसे पहली जांच बिट्टू के खिलाफ ही शुरू करवाई थी। अलग बात है कि उक्त जांच की आंच बिट्टू ने सूझबूझ से अपने ऊपर नहीं आने दी थी।
आखिर क्यों छोड़ी कांग्रेस
भाजपा में शामिल होने के बाद तेजिंदर पाल सिंह बिट्टू ने कहा कि मैंने कांग्रेस पार्टी में 35 साल लगाए हैं और आज मुझे लगता है कि कांग्रेस मुद्दों से भटक चुकी है। मैंने पंजाब के भले के लिए सोचा और भाजपा ज्वाइन की। आज पंजाब में अगर कोई सही विकल्प है, जो वहां के लोगों के लिए, पंजाब की तरक्की के लिए काम कर सकता है तो वो भाजपा है।
कांग्रेस को झटके पे झटका
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस को झटके पे झटका लग रहा है. अब तक एक दर्जन से अधिक नेताओं ने पार्टी का हाथ छोड़कर कमल का दामन थाम लिया. कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं में गौरव वल्लभ, संजय निरुपम, बॉक्सर बिजेंद्र सिंह, रोहन गुप्ता, अशोक चव्हाण, नवीन जिंदल, रवनीत बिट्टू, परनीत कौर, अर्जुन मोढवाडिया, मिलिंद देवड़ा, आचार्य प्रमोद कृष्णम और बाबा सिद्धिकी शामिल हैं.