लोकसभा चुनाव 2024 के लिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी चुनावी मैदान में उतर गए हैं. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने गुरुवार (25 अप्रैल) को कन्नौज सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव के कन्नौज सीट से चुनाव लड़ने पर राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने तंज कसा है.
सपा के पुराने सहयोगी रहे रालोद नेता जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव के कन्नौज से चुनाव लड़ने पर कहा कि अभी देखिए कब तक वो लड़ रहे हैं हो सकता है कल परसों कोई और लड़ ले, टिकट बदल जाए. इसके साथ ही जयंत चौधरी ने कहा कि कांग्रेस के अमेठी और रायबरेली से उम्मीदवार की घोषणा नहीं करने पर कहा कि अभी गुफ्तगू चल रही होगी, उम्मीदवार तलाश रहे होंगे कि लड़ाई में कैसे आएं. वहीं जयंत चौधरी ने इंडिया गठबंधन को लेकर कहा कि वह फ्लॉप हो रहा है, राज्यों में झगड़े हो रहे हैं और उनके अंदर अंतर्कलह बहुत है.
बता दें कि कन्नौज सीट से सपा प्रत्याशी के रूप में पहले तेज प्रताप का नाम घोषित किया गया. हालांकि तेज प्रताप के नाम की घोषणा होती ही सपा के स्थानीय नेताओं में नाराजगी देखने को मिली थी. हालांकि कार्यकर्ताओं की मांग पर फिर कन्नौज सीट पर अखिलेश यादव का नाम घोषित कर दिया गया. वहीं कन्नौज सीट से मौजूदा सांसद सुब्रत पाठक को बीजेपी ने फिर से उम्मीदवार बनाया है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बसपा का गठबंधन था. हालांकि इसके बावजूद कन्नौज सीट पर डिंपल यादव को सुब्रत पाठक ने हरा दिया था.
सपा-भाजपा दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर
कन्नौज सीट पर सपा व भाजपा दोनों ही दलों के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। सपा में स्वयं अखिलेश यादव पर ही इस सीट को लेकर जिम्मेदारी है। इसी तरह भाजपा में सांसद सुब्रत, समाज कल्याण मंत्री व सदर विधायक असीम अरुण, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रिया शाक्य, छिबरामऊ, तिर्वा व रसूलाबाद विधायक क्रमश: अर्चना पांडेय, कैलाश राजपूत व पूनम संखवार की प्रतिष्ठा लगी है।
…कन्नौज क्रांति अब होकर रहेगी: अखिलेश
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद फेसबुक पर डाली गई पोस्ट में लिखा कि ‘…कन्नौज क्रांति’ अब होकर रहेगी।
सपा का गढ़ रहा है कन्नौज
कन्नौज लोकसभा सीट में तीन जिलों की पांच विधानसभा शामिल हैं. साल 1998 से इस सीट पर सपा का कब्जा रहा था. हालांकि 2019 में इस सीट पर बीजेपी को जीत मिली. साल 1998 में सपा के टिकट पर प्रदीप यादव ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद फिर 1999 में मुलायम सिंह यादव ने इस सीट पर जीत हासिल की थी. फिर मुलायम सिंह यादव ने जब 2000 में कन्नौज को अलविदा बोला, तब बेटे अखिलेश यादव को गद्दी सौंपी. इस सीट से अखिलेश यादव तीन बार सांसद बने, फिर 2012 में जब अखिलेश प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने पत्नी डिंपल यादव को उपचुनाव में निर्विरोध निर्वाचित कराया. इसके बाद हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी पत्नी डिंपल यादव फिर से कन्नौज से सांसद बनीं. हालांकि 2019 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर लड़े सुब्रत पाठक ने डिंपल यादव को हराकर यह सीट उनसे छीन ली.