पहले राजधानी इस्लामाबाद में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने और उसके कुछ ही घंटे बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में पाकिस्तान के राजदूत ने अपने देश में कुछ संदिग्ध ‘चरित्र’ वाले लोगों की संदेहास्पद मौत के मामले को उठाते हुए भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने की कोशिश की है। भारत ने यूएनजीए में इसका करारा जवाब दिया है।
भारत ने पाकिस्तान को सुनाई खरी-खरी
भारत ने पाकिस्तान का नाम लिये बगैर उसे पूरे चरित्र को संदेहास्पद करार दिया है और आतंकवाद के मुद्दे पर भी उसे घेरा है। यूएनजीए में भारत की प्रतिनिधि रुचिका कम्बोज ने पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम की तरफ से दिए गये बयान को विध्वंसक और हानिकारक करार करते हुए वहां अल्पसंख्यकों की स्थिति को भी उठाया जबकि भारत में धार्मिक सद्भाव के माहौल को भी बखूबी सामने रखा।
भारत लोगों को देता है आश्रय
कम्बोज ने कहा कि भारत ऐतिहासिक तौर पर दूसरी जगहों पर धार्मिक तौर पर प्रताड़ित किये गये लोगों को आश्रय देने का काम करता रहा है। पाकिस्तान के राजदूत अकरम की तरफ से सोमवार को यूएनजीए में दिया गया भाषण पूरी तरह से भारत विरोधी भाावनाओं से भरा हुआ था। उन्होंने एक सांस में कश्मीर से लेकर ज्ञानवापी मस्जिद और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण व नागरिकता कानून का मुद्दा उठाया और इसके जरिए भारत में धार्मिक असहिष्णुता की स्थिति को उठाया।
घर में घुस कर मारता है- कम्बोज
उन्होंने पीएम नरेन्द्र मोदी के उस भाषण को भी उद्धृत किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि, यह नया भारत है जो घर में घुस कर मारता है। इसके पहले पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जाहरा बलोच ने यह आरोप लगाया था कि पाकिस्तान में पाकिस्तानी नागरिकों की हत्या कराने में भारत का हाथ है। हाल के दिनों में पाकिस्तान की तरफ से यह मुद्दा कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की कोशिश की गई है।
यूएनजीए में शांति की संस्कृति पर जारी इस बहस में हिस्सा लेते हुए भारतीय राजदूत काम्बोज ने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण समय में हम सभी शांति की संस्कृति को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। हम सभी रचनात्मक विमर्श पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। ऐसे में हम इस समय एक प्रतिनिधि की तरफ से की गई टिप्पणियों को दरकिनार करते हैं जो ना सिर्फ नियमों के खिलाफ है बल्कि अपनी विध्वंसात्मक व हानिकारक प्रवृति की वजह से हमें भटकाता है।
उन्होंने कहा कि हम सभी प्रतिनिधियों को आदर व कूटनीति के मूल सिद्धांतों के मुताबिक, परिचर्चा को आगे बढ़ाने का आग्रह करते हैं लेकिन इन मामलों में बहुत ही संदिग्ध रिकॉर्ड रखने वाले देशों से इस तरह की अपेक्षा करना मुश्किल है। जाहिर है कि भारत ने पाकिस्तान के राजूदत को जवाब तो दिया लेकिन उसका सीधा तौर पर उनके देश का नाम नहीं लिया। इसके बाद भारतीय राजदूत ने आतंकवाद का समर्थन देने की पाकिस्तान की नीति की तरफ भी इशारा किया।