वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस के चुनावी वादों को ‘खटा-खट’ योजना करार देते हुए उसे आड़े हाथ लिया और पूछा कि क्या उसे गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की महिलाओं को सालाना एक लाख रुपये देने समेत सामाजिक कल्याण योजनाओं को लागू करने की लागत के बारे में पता भी है? उन्होंने पूछा कि कांग्रेस क्या इन योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर उधार लेगी, टैक्स बढ़ाएगी या फिर खटाखट योजनाओं की वित्तीय लागत को समायोजित करने के लिए सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को बंद करेगी।
सोमवार को एक्स पर वित्त मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी को जनता के इन सवालों का जवाब देना चाहिए। हाल के दिनों में मोदी सरकार के राजकोषीय खासकर ऋण प्रबंधन को लेकर विपक्ष की तरफ से काफी आलोचना की गई। इसके जवाब में सीतारमण ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से पूछा कि कांग्रेस अपने बड़े-बड़े वादों को पूरा करने के लिए राजकोषीय खर्च में बढ़ोतरी और भारी उधार या अर्थव्यवस्था को नीचे गिराए बिना कैसे काम करेगी? उन्होंने कहा कि सवाल सिर्फ उधार लेने का नहीं है, व्यय को लागू करने के बारे में भी है।
हाल के दिनों में मोदी सरकार के राजकोषीय प्रबंधन (खासकर ऋृण) को लेकर काफी कुछ कहा गया है। कई बार सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि पर विचार किए बिना पूर्ण संख्याओं की तुलना की गई है, जिस पर हम ऋण गणना का आधार बनाते हैं। कांग्रेस गैर-पारदर्शी और वास्तविकता से परे और बड़े-बड़े वादों… https://t.co/UTgNhzhUJY
— Nirmala Sitharaman Office (@nsitharamanoffc) May 13, 2024
घोटालों से सरकारी खजाने को हुआ भारी नुकसान
कांग्रेस अल्पकालिक लोकलुभावन उपायों पर खर्च करने में रुचि रखती है और दीर्घकालिक राष्ट्रीय विकास पर कभी ध्यान केंद्रित नहीं करती है। यहां तक कि रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा भी कांग्रेस की नीतिगत पंगुता के कारण बाधित हुई। भारतीय सेना को बुलेट-प्रूफ जैकेट और नाइट विजन गागल्स उपलब्ध कराने के लिए भी धनराशि नहीं दी गई। यूपीए काल में सीडब्ल्यूजी, अंतरिक्ष देवास, कोयला और टेलीकाम स्पेक्ट्रम जैसे घोटालों से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
राजकोषीय घाटे को जीडीपी का 5.8 प्रतिशत किया गया
सीतारमण ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए सरकार के सक्रिय उपायों की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा बढ़कर जीडीपी का 9.2 प्रतिशत हो गया, जिससे केंद्र सरकार का कर्ज जीडीपी का 61.4 प्रतिशत तक पहुंच गया था। महामारी के बाद हमारी सरकार ने आर्थिक विकास को बनाए रखते हुए राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया। इस रणनीति ने वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित अनुमान में राजकोषीय घाटे को जीडीपी का 5.8 प्रतिशत कर दिया।
सकल घरेलू उत्पाद रहा इतना
अंतरिम बजट वित्त वर्ष 2024-25 में 5.1 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया गया है। सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार का कर्ज 2013-14 के अंत में सकल घरेलू उत्पाद का 52.2 प्रतिशत था। यह लगातार राजकोषीय मजबूती के प्रयासों से 2018-19 में कम होकर लगभग 48.9 प्रतिशत रहा। इस अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा देखा जाए तो यह वित्त वर्ष 2013-14 में 4.5 प्रतिशत था। यह कम होकर वित्त वर्ष 2018-19 में 3.4 प्रतिशत रहा।
संप्रग काल में बजटीय घाटे से कहीं अधिक था वास्तविक घाटा
वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के तहत वास्तविक घाटा बजटीय घाटे से कहीं अधिक था। उन्होंने कहा कि वास्तव में संप्रग सरकार ने उच्च राजकोषीय घाटे को छिपाने के लिए आंकड़े छिपाये। अगर ऐसा नहीं होता तो 2008-09 में राजकोषीय घाटा आधिकारिक आंकड़ा 6.1 प्रतिशत के बजाय 7.9 प्रतिशत होता। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2005-06 से वित्त वर्ष 2009-10 तक पांच साल में 1.90 लाख करोड़ रुपये से अधिक की रकम बही-खातों से दूर रखी गई। इस रकम को शामिल करने से राजकोषीय और राजस्व घाटा आंकड़ा कहीं अधिक होता।