भारत तेजी से विकास के रास्ते पर है लेकिन दुनिया में भारत को अपनी वैल्यू और बढ़ानी है और आत्मनिर्भर बनना है तो भारत को मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करना होगा. ये कहना है कि देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का. वित्तमंत्री भारतीय कारोबार जगत के दिग्गजों को संबोधित करते हुए ये बात सीआईआई के एनुअल ट्रेड सम्मेलन के एक बैठक में कही.
निर्मला सीतारमण का कहना है कि कुछ अर्थशास्त्रियों की ओर से दी गई इस सलाह के विपरीत भारत को अब मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान नहीं देना चाहिए या मैन्युफैक्चरिंग में तेजी नहीं लानी चाहिए. वित्तमंत्री ने कहा कि हमें इस तथ्य पर जोर देना होगा कि मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि होनी चाहिए. भारत को नीतियों की मदद से ग्लोबल चेन सिस्टम में अपनी मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी बढ़ानी चाहिए.
रघुराम राजन से सहमत नहीं
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन सहित कुछ अर्थशास्त्रियों ने राय व्यक्त की है कि भारत को मैन्युफैक्चरिंग के बजाय सर्विस सेक्टर पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि उसने वह अवसर गंवा दिया है. उनका कहना है कि चीन के मैनयुफैक्चरिंग -आधारित वृद्धि मॉडल को अब और दोहराया नहीं जा सकता. हालांकि, सीतारमण ने कहा कि विनिर्माण के विस्तार से भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने उम्मीद जतायी कि भारत के पास अब भी अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता बढ़ाने का अवसर है क्योंकि दुनिया कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद चीन प्लस वन रणनीति पर ध्यान दे रही है.
कैपजेमिनी रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से जारी की गई रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यूरोप और अमेरिका में वरिष्ठ अधिकारियों के लिए निवेश स्थलों की सूची में भारत शीर्ष पर है, जो चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं और अपनी विनिर्माण क्षमता का कुछ हिस्सा उभरते बाजारों में स्थानांतरित करना चाहते हैं. सर्वेक्षण में शामिल करीब 760 अधिकारियों में से 65 प्रतिशत ने कहा कि वे भारत में उल्लेखनीय रूप से निवेश बढ़ाने की योजना बना रहे हैं.
भारत का ये है दम
भारत आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका एक उदाहरण देते हुए कहा है आज भारत में बिकने वाले 99 प्रतिशत मोबाइल भारत में ही बनाए जाते हैं. वही एपल का उदाहरण देते हुए वित्तमंत्री ने कहा भारत पिछले साल 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात के साथ चीन के बाहर आईफोन के लिए एप्पल का दूसरा सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया. सर्विस सेक्टर की बात करें तो दुनिया के 50 प्रतिशत से अधिक वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) पर भारत का कब्जा है और यह महत्वपूर्ण घरेलू तथा वैश्विक अवसर उत्पन्न करने वाला सबसे पसंदीदा जगह बन चुका है. भारत में जीसीसी की संख्या इस समय 1,580 से अधिक हो गई है.