ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी, विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन और सात अन्य लोगों की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत पर भारत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। भारत सरकार ने रईसी और हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन के सम्मान में मंगलवार यानी 21 मई को एक दिवसीय राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।
विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा, “पूरे भारत में शोक के दिन सभी सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। इस देश में कोई आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम नहीं आयोजित किया जाएगा।”
#WATCH | Delhi: National flag fly at half-mast as one-day national mourning is being observed in the country following the death of Iranian President Ebrahim Raisi, Foreign Minister and other high-ranking officials in a helicopter crash. pic.twitter.com/HnA9SfiCz7
— ANI (@ANI) May 21, 2024
रईसी का हेलीकॉप्टर अजरबैजान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया
बता दें कि इब्राहिम रईसी का हेलीकॉप्टर रविवार को घने कोहरे के कारण पूर्वी अजरबैजान प्रांत के पर्वतीय वन क्षेत्र में पहाड़ियों से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। खराब मौसम की वजह से खोज एवं बचाव दल को दुर्घटनास्थल पर पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी और वे सोमवार तड़के ही वहां पहुंच पाए।
ईरान में पांच दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा
वहीं, प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने देश में पांच दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।
भारत के लिए काफी अहम थे रईसी
बता दें कि ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर हादसे में आकस्मिक मौत को भारत के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है. क्योंकि राष्ट्रपति रईसी ने ही चीन और पाकिस्तान के दबाव के बावजूद चाबहार बंदरगाह को भारत को सौंपने का रास्ता साफ किया था. इसके अलावा ईरान के इस्लामिक देश होने के बाजवूद रईसी ने कश्मीर मामले पर भी हमेशा भारत का समर्थन किया.
गौरतलब है कि भारत ने कुछ दिन पहले ही ईरान के चाबहार में स्थित शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह के संचालन और विकास के लिए 10 वर्ष का अनुबंध हासिल किया था. यह बंदरगाह भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि ये बंदरगाद अब भारत के लिए अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों तक पहुंच का रास्ता बन गया है.
बता दें कि चीन ने जब से पाकिस्तान की ग्वादर बंदरगाह पर अपने पैर जमाए हैं, तब से भारत के लिए रणनीतिक तौर पर यह जरूरी हो गया था कि अरब सागर में भारत अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए चाबहार में अपनी मौजूदगी दर्ज कराए. बता दें कि साल 2003 में पहली बार भारत-ईरान के बीच इस बंदरगाह के विकास और संचालन को लेकर सहमति पत्र पर दस्तखत किए गए थे, लेकिन, दो दशक तक ये डील पक्की नहीं हो पाई. साल 2017 में भारत ने बेहेश्ती बंदरगाह पर टर्मिनल का निर्माण कर उसका संचालन शुरू किया, लेकिन इस बंदरगाह के दीर्घकालिक समझौते की डील इस साल यानी 2024 में पूरी हो पाई.