लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण की वोटिंग के बाद अब बारी छठे चरण के चुनाव की है. इस फेज में आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की 58 लोकसभा सीटों पर 25 मई को मतदान होना है. इन 58 सीटों पर 889 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. यह चरण ऐसा है, जिसमें राजधानी दिल्ली की सभी सातों सीट पर चुनाव होने हैं. इतना ही नहीं दिल्ली से सटे हरियाणा की सभी सीटों पर भी इस चरण में सियासी दलों की परीक्षा होनी है.
छठा चरण ऐसा है, जहां कांग्रेस के पास एक भी सीट नहीं है जबकि बीजेपी का एकछत्र राज कायम रहा था. कांग्रेस को अपना खाता खोलने ही नहीं अगर सत्ता में वापसी करना है तो बीजेपी के दुर्ग को भेदे बिना संभव नहीं है. पीएम मोदी को सत्ता की हैट्रिक लगाना है तो अपना दबदबा बनाए रखना होगा. इसके अलावा क्षेत्रीय दलों की भी अग्निपरीक्षा इसी चरण में होनी है. ऐसे में देखना है छठे चरण में किसका पलड़ा भारी रहता है.
छठे चरण में कहां-कहां चुनाव
2024 के लोकसभा चुनाव में छठे चरण में जिन 8 राज्यों की सीटों पर चुनाव है, उसमें राजधानी दिल्ली से लेकर जम्मू-कश्मीर तक की सीट शामिल है. उत्तर प्रदेश की 14, बिहार की 8, हरियाणा की 10, दिल्ली की 7, पश्चिम बंगाल की 8, झारखंड की चार, ओडिशा की 6 और जम्मू-कश्मीर की एक सीट पर चुनाव है. जम्मू कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर तीसरे चरण में चुनाव होना था, लेकिन अब छठे चरण में वोटिंग है. इस तरह से छठे चरण में एक संसदीय क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की औसत संख्या 15 है.
छठे चरण में किसका पलड़ा भारी
छठे चरण में जिन 58 लोकसभा सीटों पर 25 मई को चुनाव है, उन पर पिछले चुनाव में बीजेपी का दबदबा था. 2019 के लोकसभा चुनाव में इन 58 संसदीय सीटों में से बीजेपी 40 सीट जीतने में कामयाब रही थी. वहीं, बसपा 4 सीटें जीती थी तो टीएमसी 3, बीजेडी 4, जेडीयू 3, एलजेपी एक, आजसू एक और नेशनल कॉफ्रेंस भी एक सीट जीतने में सफल रही थी. इसके अलावा सपा एक सीट जीतने में सफल रही थी. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, आरजेडी जैसे दल अपना खाता तक नहीं खोल सके थे. बीजेपी ने हरियाणा और दिल्ली में क्लीन स्वीप करने में कामयाब रही थी.
यूपी में होगा कांटे का मुकाबला
उत्तर प्रदेश में छठे चरण में सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, प्रयागराज, अंबेडकरनगर, श्ववस्ती, डुमरियांगंज, बस्ती, संत कबीरनगर, लालगंज, जौनपुर, आजमगढ़, मछली शहर और भदोही लोकसभा सीट पर चुनाव है. 2019 में बीजेपी 9, बसपा चार और सपा एक सीट जीतने में सफल रही थी. पिछले चुनाव में सपा और बसपा मिलकर लड़ी थी, लेकिन इस बार अलग-अलग मैदान में है. बीजेपी ने राजभर-अनुप्रिया-संजय निषाद की पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ी रही है.
हालांकि, सपा ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. सपा सिर्फ आजमगढ़ सीट जीती, जिसे उपचुनाव में गंवा दिया था. सपा इस बार एक नए समीकरण के साथ चुनावी मैदान में उतरी है. दलित-ओबीसी पर ही अखिलेश यादव ने दांव लगा रखा है. ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती बसपा के लिए है, क्योंकि पिछले चुनाव में जीती हुई सीटों को बचाए रखने की है. गठबंधन के दौर में मायावती अकेले चुनावी मैदान में उतरी है, जिसके चलते उनके लिए राह आसान नहीं है. बीजेपी सभी सीटों पर पूरे दमखम के साथ उतरी है और मोदी-योगी के नाम पर पूर्वांचल का दुर्ग फतह करने का प्लान बनाया है.
बिहार-झारखंड में फाइट है टाइट
बिहार की आठ लोकसभा सीटों पर छठे चरण में चुनाव है, जिसमें वाल्मिकी नगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, महाराजगंज और सिवान सीट शामिल है. 2019 में बीजेपी चार, जेडीयू तीन और एक सीट एलजेपी जीतने में सफल रही थी. आरजेडी और कांग्रेस अपना खाता तक नहीं खोल सकी थी, लेकिन इस बार का मुकाबला काफी अलग है. बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन के बीच सीधी फाइट है. ऐसे में एनडीए को अपनी सीटों को बचाए रखने की चुनौती है.
झारखंड की चार लोकसभा सीटों पर छठे चरण में चुनाव है, जिसमें गिरीडीह, धनबाद, रांची और जमशेदपुर सीट शामिल है. गिरडीह आजसू जीतने में सफल रही थी तो बाकी तन सीटों बीजेपी 2019 में जीती थी. इस पर झारखंड में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है. कांग्रेस-जेएमएम पूरी ताकत झोंक रखी है. ऐसे में बीजेपी के लिए अपनी सीटों को बचाए रखने की चुनौती होगी. इस चरण में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर चुनाव है, जिसे 2019 में नेशनल कॉफ्रेंस जीतने में सफल रही थी.
बंगाल और ओडिशा में टक्कर
पश्चिम बंगाल की 8 और ओडिशा की 6 लोकसभा सीटों पर छठे चरण में चुनाव है. बंगाल की तमलुक, कांटी, घाटल, झारग्राम, मेदनीपुर, पुर्लिया, बंकुरा और बिष्णुपुर सीट सीट पर 25 मई को वोटिंग है. 2019 में इन 8 सीटों में से बीजेपी 5 सीटें जीतने में कामयाब रही थी जबकि टीएमसी तीन सीटें जीती थी. ओडिशा की जिन 6 लोकसभा सीट पर चुनाव है, उसमें संबलपुर, केनझोर, ढेनकनाल, कटक, पुरी और भूनेश्वर लोकसभा सीट शामिल है. 2019 में बीजेपी दो सीटें जीतने में सफल रही थी तो चार सीटें बीजेडी को मिली थी. इस बार के चुनाव में पश्चिम बंगाल और ओडिशा दोनों ही जगह पर बीजेपी को अपनी सीटों सिर्फ बचाने की नहीं बल्कि उसे बढ़ाने की टेंशन है. बीजेपी को दोनों ही राज्यों में छत्रपों से मुकाबला करना पड़ रहा है, बंगाल में टीएमसी से तो ओडिशा में बीजेडी के दो-दो हाथ करना पड़ रहा है.
दिल्ली-हरियाणा में मुकाबला कड़ा
दिल्ली की सभी सात और हरियाणा की सभी दस लोकसभा सीटों पर भी छठे चरण में चुनाव होने हैं. 2014 और 2019 में दिल्ली की सभी सातों सीटें बीजेपी जीतने में सफल रही थी, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनावी मैदान में उतरी हैं. इसके चलते बीजेपी के लिए क्लीन स्वीप करना आसान नहीं दिख रहा है. बीजेपी ने अपने सात में छह सांसदों का टिकट काट दिया है और उनकी जगह पर नए चेहरों को उतारा है. मनोज तिवारी एकलौते चेहरे हैं, जिन पर भरोसा जताया है, लेकिन कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है. दिल्ली की सात में 4 सीट पर आम आदमी पार्टी और 3 सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी उतरे हैं.