झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से दायर अंतरिम जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि हम आपकी याचिका को मंजूरी नहीं देंगे. अदालत ने सोरेन के वकील कपिल सिब्बल से कहा कि आप याचिका वापस ले लें. कोर्ट का आदेश मानते हुए सिब्बल ने याचिका वापस ले ली. भूमि घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सोरेन रांची की जेल में बंद हैं. मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दलील दी कि अगर हेमंत सोरेन को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो जेल में बंद सभी नेता जमानत की मांग करेंगे.
Supreme Court declines to entertain former Jharkhand CM Hemant Soren's petition as it notes the petitioner has not disclosed the fact that the trial court has taken cognisance of the chargesheet in the matter. Senior Advocate Kapil Sibal, representing Hemant Soren, says he… pic.twitter.com/nxp6l8IvmR
— ANI (@ANI) May 22, 2024
हेमंत सोरेन ने अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने के शीर्ष अदालत के आदेश का हवाला दिया था. उन्होंने अपने लिए भी इसी तरह की राहत देने का अनुरोध किया था. सोरेन के खिलाफ जांच रांची में 8.86 एकड़ जमीन से संबद्ध है, जिस बारे में ईडी का आरोप है कि इसे उन्होंने अवैध तरीके से हासिल किया है.इससे पहले मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में उनकी याचिका पर सुनवाई हुई थी. न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए बुधवार का दिन निर्धारित किया था.
कोर्ट ने किया सवाल?
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सोरेन से पूछा कि कथित भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में उनके खिलाफ ईडी की शिकायत पर निचली अदालत के संज्ञान लेने के बाद क्या संवैधानिक अदालत उनकी गिरफ्तारी की वैधता की पड़ताल कर सकती है. पीठ ने सोरेन के वकील से पहले यह बताने को कहा कि नियमित जमानत के लिए उनकी अर्जी खारिज होने के बाद लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए उन्हें अंतरिम जमानत कैसे दी जा सकती है. सोरेन के वकीलों ने अदालत के सवालों का जवाब देने के लिए बुधवार तक का वक्त मांगा था.
ईडी ने किया याचिका का विरोध
ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने सोरेन की अंतरिम जमानत अर्जी का विरोध करते हुए दलील दी कि उनका मामला दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से अलग है, जिन्हें आम चुनाव में प्रचार करने के लिए 10 मई को अंतरिम जमानत दी गई थी. उन्होंने कहा कि निचली अदालत ने सोरेन के खिलाफ प्रथम दृष्टया एक मामला पाये जाने के बाद चार अप्रैल को अभियोजन की शिकायत का संज्ञान लिया था.
सोरेन की अर्जी की विचारणीयता पर प्रारंभिक आपत्ति जताते हुए ईडी ने कहा, इस मामले की तुलना दूसरे मामले (केजरीवाल के मामले) से नहीं की जा सकती. अन्यथा, हर दिन कोई न कोई गिरफ्तारी को चुनौती देने आएगा और आपराधिक कार्यवाही ठप हो जाएगी. यह भानुमति का पिटारा खोल देगा. ईडी ने कहा कि केजरीवाल के मामले के विपरीत, सोरेन को 16 मार्च को लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा से काफी पहले 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था.