मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कर दिया है कि राज्य में मजारों के नाम पर अवैध निर्माण करने वाले या तो अपने निर्माण को हटा लें नहीं तो सरकार सख्त कार्रवाई करेगी.
उत्तराखंड में इन दिनों मजार का मुद्दा गरमाया हुआ है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में अतिक्रमण कर बनाए गए अवैध मजारों को लेकर एक बयान दिया था. इसके बाद से राजनीतिक गलियारों में घमासान मचा हुआ है. एक तरफ बीजेपी सरकार के फैसले की तारीफ कर रही है तो दूसरी तरफ विपक्ष इस मुद्दे को चुनावी माइलेज लेने वाला बता रहा है. इतना ही नहीं, उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस ने इसको लेकर प्रेस वार्ता भी की है. कांग्रेस ने अपने नेताओं को टीवी चैनलों पर मजारों या किसी भी तरह की धार्मिक बहस में न बैठने की हिदायत दी है. इधर, मुख्यमंत्री साफ कर चुके हैं कि प्रदेश में किसी भी लैंड जिहाद या मजार जिहाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में राजाजी नेशनल पार्क और जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क जैसे विशाल जंगल हैं. इनसे प्रदेश का करीब 60 फीसदी हिस्सा वनों से घिरा है. पिछले कुछ दिनों में वन विभाग की इस भूमि पर मानवीय दखल भी हो रही है. वन विभाग की इस भूमि पर धर्म के नाम पर अवैध निर्माण किए जा रहे हैं. इन्ही अवैध कब्जों को लेकर उत्तराखंड वन विभाग ने साल 2022 के अंत में अपनी भूमि पर बनाए गए अवैध मजारों की सूची तैयार की थी. इसके अनुसार पूरे प्रदेश में हजारों की संख्या में मजार वन भूमि पर चिन्हित किए गए थे.
जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व जैसा संवेदनशील एरिया भी अतिक्रमणकारियो के चुंगल से बच नहीं पाया. कॉर्बेट पार्क के भीतर ढेला, झिरना, कालागढ़, बिजरानी, सर्पदुल्ली और सोनानदी रेंज में कई मजार और कब्रिस्तान बनाए गए हैं. ये मजार कॉर्बेट के बिजरानी जोन में हैं. कुछ साल पहले तक इस क्षेत्र में मात्र एक मजार था, जिसे ‘थपली बाबा की मजार’ के नाम से जाना जाता है. लेकिन, इसकी आड़ में हाल के सालों में यहां पांच और मजार बना दिए गए हैं. इसी तरह बिजरानी जोन के कंपार्टमेंट नंबर 11 और कंपार्टमेंट नंबर-8 में भी मजार बना दिए गए हैं. कंपार्टमेंट नंबर 7 में तो बकायदा दो-दो मजार बना दिए गए हैं. ढेला रेंज में भी पांच मजार हैं. झीरना रेंज में एक और कालागढ़ रेंज में भी पांच मजार बना दिए गए हैं.
इन सभी अवैध कब्जों को अपनी भूमि से हटाने के लिए वन विभाग की तरफ से कार्रवाई की जा रही है. इस साल मार्च तक वन विभाग ने अपनी भूमि पर बने अवैध मजारों के कब्जों को हटाकर खाली कराया है, जबकि आगे भी कार्रवाई की जा रही है. राज्य सरकार पहले भी वन विभाग की भूमि पर अवैध मजारों को हटाने को लेकर बयान जारी कर चुकी है. पिछले गुरुवार को भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धर्म के नाम पर मजारों का निर्माण करने वालो को सख्त संदेश दिया था. उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार किसी भी तरह के अतिक्रमण को बरदाश्त नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि इस तरह के निर्माण हटा लें, नहीं तो सख्ती से कार्रवाई की जाएगी.
बीजेपी प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने कहा कि पिछले दो-तीन महीनों में अवैध अतिक्रमण कर बनाए गए मजारों को हटाकर जिला प्रशासन ने जमीनों को खाली करवाया है. जबकि गढ़वाल के साथ कुमाऊं मंडल में भी कब्जे को हटाने के लिए सरकार ने 1000 से ज्यादा अवैध मजारों को चिह्नित किया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कर दिया है कि राज्य में मजारों के नाम पर अवैध निर्माण करने वाले लोग या तो अपने निर्माण को हटा लें नहीं तो सरकार उन पर सख्त कार्रवाई करेगी. सीएम के इस बयान का बीजेपी नेताओं ने स्वागत किया है. प्रदेश प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री के बयान का स्वागत करते हुए कहा है कि सरकार किसी भी तरह के अवैध कब्जे को हटाकर जमीनों को खाली कराने का काम कर रही है. विपक्ष इस मामले में बेवजह राजनीति कर रहा है. बीजेपी प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि जो अवैध निर्माण मजारों के रूप में किए गए हैं, उनको कांग्रेस के नेताओं ने संरक्षण दिया हुआ है. यही कारण है कि जब जब कांग्रेस सत्ता में आती है, तब ऐसे अवैध निर्माणों की संख्या बढ़ जाती है.
इधर, कार्रवाई पर मजारों की देखभाल करने वाले मुजबीर सवाल उठा रहे हैं. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क क्षेत्र रामनगर में बने हुई मजार के गद्दी आसीन अशरफ अली कहते हैं कि जिस मजार को हटाने की बात की जा रही है, वह पिछले 40 साल से जिम कार्बेट पार्क में है. इसकी देखभाल पहले उनके वालिद किया करते थे. वालिद के इंतकाल के बाद पिछले 16 सालों से वह खुद इस मजार की इबादत करते हैं. अशरफ अली कहते हैं कि इस मजार पर सभी धर्मों के लोग आते हैं, जहां सभी की मनोकामना पूरी होती है.