भारत लगातार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की कोशिश कर रहा है, लेकिन चीन उसमें अड़ंगा लगा देता है, लेकिन इस बार भारत मन में स्थायी सदस्य बनने की ठान बैठा है. ऐसा ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बयान दिया. उन्होंने कहा, भारत जल्द ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बन सकता है.संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस और अमेरिका भी भारत का समर्थन कर रहे हैं. भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलिपोव कहते हैं कि भारत ने ज्यादातर विषयों पर संतुलित रवैया अपनाया है, इसलिए भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए हकदार है. राष्ट्रपति पुतिन भी अंतरराष्ट्रीय कानून में बदलाव की वकालत कर चुके हैं. बता दें कि सुरक्षा परिषद में अभी ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका स्थायी सदस्य हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
सरदार पटेल विश्वविद्यालय में सहायक प्रफेसर विनय कौरा कहते हैं कि रूस के भारत को बार-बार सपोर्ट देने के बाद भी चीन प्रभावित नहीं हो रहा है. चीन सुरक्षा परिषद में लगातार विरोध कर रहा है, ताकि भारत का रास्ता बंद हो जाए. एशिया में चीन अकेला ऐसा देश है, जो सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता रखता है और अगर भारत को सदस्यता मिलती है तो चीन औधा कम हो जाएगा. इंटरनैशनल क्राइसिस ग्रुप में यूएन डायरेक्टर रिचर्ड गोवान कहते हैं कि भारत ने पूरी ताकत लगा रखी है, लेकिन इस बार भारत अटल है कि उसे स्थायी सीट दी जाए. इसको लेकर भारत कोई समझौता करने के मूड में नहीं है. गोवान ने कहा कि चीन वीटो पावर का इस्तेमाल कर पाकिस्तानी आतंकियों को बचाता है, अगर भारत को बराबरी का हक मिलता है तो इससे चीन का एशिया में प्रभाव कम हो जाएगा.
वीटो पावर का है खेल
गोवान ने कहा कि सुरक्षा परिषद में बड़ा पेच वीटो पावर को लेकर है. अभी 5 स्थायी सदस्यों के पास ही वीटो पावर है. वे भी कन्फ्यूज हैं कि किस तरह वर्तमान वीटो के प्रावधानों को नए सदस्य देशों को दिया जाए. गोवान कहते हैं कि ये 5 स्थायी सदस्य सुधारों के मुद्दे को कई बार उठाते रहते हैं, ताकि भारत और ब्राजील जैसे देशों को लुभाया जा सके, जो स्थायी सदस्यता के लिए दावा कर रहे हैं. हालांकि हकीकत कोई भी नहीं समझता है.