नौतपा से पहले गर्मी बेहाल कर रही है. तापमान रिकॉर्ड बना रहा है. गुरुवार को राजस्थान के बाड़मेर का तापमान 49 डिग्री रहा. जो इस साल का सबसे अधिक तापमान था. 22 मई को यहां का तापमान 48 डिग्री पहुंचा.देश के कई शहरों में तापमान 45 डिग्री पार चला गया है. कई राज्यों ने रेड अलर्ट जारी किया किया है. 25 मई से 2 जून तक चलने वाले नौतपा में तापमान और बढ़ने का खतरा है. इस बीच गर्मी का रिकॉर्ड बनाने वाला बाड़मेर चर्चा में बना हुआ.
यह पहला मौका नहीं है जब बाड़मेर का तापमान यहां तक पहुंचा है. राजस्थान के सर्वाधिक गर्मी वाले शहरों में यहां का बाड़मेर शामिल है. ऐसे में सवाल है कि बाड़मेर आखिर इतना गर्म क्यों रहता है?
राजस्थान के बाड़मेर में इतनी गर्मी क्यों?
राजस्थान के ज्यादातर शहर ऐसे हैं जहां गर्मी के रिकॉर्ड बनते हैं. बाड़मेर के अलावा चुरू, श्रीगंगानगर, फलौदी, बीकानेर और जैसलमेर उन शहरों में हैं जहां गर्मियों में आग बरसती है, बाड़मेर में इतनी गर्मी क्यों पड़ी, आइए इसका जवाब जान लेते हैं.
बाड़मेर थार मरुस्थल का एक हिस्सा है. यह जालौर, पाली, जोधपुर और पश्चिम में पाकिस्तान से घिरा हुआ है. क्षेत्रफल के हिसाब से यह राजस्थान का तीसरा और भारत का पांचवा सबसे बड़ा जिला है. यहां तापमान क्यों रिकॉर्ड बनाता है, इसकी एक नहीं, कई वजह हैं, जो मिलकर इस शहर को राजस्थान के सबसे गर्म शहर में लाकर खड़ा कर देती हैं.
बाड़मेर का ज्यादातर हिस्सा रेतीला है. यहां दूसरे शहरों के मुकाबले पेड़-पौधे बेहद कम हैं. अरावली की पहाड़ियां अरब सागर की तरफ से आने वाली नमीं वाली हवाओं को रोक देती हैं. यहां पर नमीं का स्तर कम होहै. यही वजह है कि यहां गर्मी अधिक पड़ती है. यहां की जलवायु को गर्म कहा गया है. यहां दिन गर्म और रात ठंडी होती है.
बाड़मेर जैसे रेगिस्तानी वातावरण वाल क्षेत्र में बहुत कम बारिश होती है, जिससे शुष्क स्थिति पैदा हो जाती है. हवा में नमी न होने के कारण वाष्पीकरणीय से होने वाली ठंड नहीं मिलती, इसलिए तापमान बढ़ता जाता है. यहां की रेतीली मिट्टी गर्माहट को अधिक एब्जॉर्ब करती है. नतीजा दिन का तापमान बढ़ा हुआ रहता है.
बढ़ता तापमान कैसे शरीर को निचोड़ देता है?
बढ़ता तापमान सिर्फ शरीर का पसीना ही नहीं निकालता, यह पूरे शरीर पर असर डाल सकता है और जान जाने की वजह भी बन सकता है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है, तापमान बढ़ने से हार्ट, रेस्पिरेट्री और लिवर से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं.
इंसानी शरीर 37 डिग्री के कोर तापमान तक काम करने के लिए बना है. जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है शरीर में बदलाव आता है. तापमान जैसे-जैसे बढ़ता है शरीर अपने अंगों केआसपास तापमान मेंटेन रखने की कोशिश करता है. लेकिन गर्मी बढ़ने पर पसीना निकलना शुरू होता है. ये वाष्पीकृत होता और शरीर ठंडा महसूस करता है. शरीर के अंदर मौजूद पानी में तेजी से कमी आने लगती है. थकान महसूस होने लगती है.
जब तापमान 40 डिग्री पार करता है तो स्किन के साथ सीधा असर हार्ट पर पड़ता है. इस पर दबाव अधिक पड़ने लगता है. यह सामान्य से अधिक खून पम्प करने लगता है. दिल को ज्यादा काम करना पड़ता है. इसलिए गर्मियों में स्ट्रोक का खतरा अधिक बढ़ता है. देर तक ऐसी स्थिति में रहते हैं तो जान जाने की आशंका भी रहती है.
एक रिपोर्ट कहती है, लोगों के शरीर में तापमान सहने की क्षमता अलग-अलग होती है. लेकिन उम्र, खराब स्वास्थ्य, दिल की बीमारियां, कमजोर फेफड़े और दवाओं की खुराक का भी गर्मी में असर पड़ता है. इसका सीधा सा मतलब है कि शरीर पहले से अतिरिक्त मेहनत कर रहा है. ऐसे में अधिक तापमान वाली जगह पर रहते हैं तो खतरा ज्यादा है. अलर्ट रहने की जरूरत है. इसलिए गर्मियों में रोजाना 2 से 3 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए. 11 से शाम 4 बजे तक धूप में निकले से बचें. खाने में लिक्विड चीजें और रसदार फल अधिक लें.