राजकोट अग्निकांड को लेकर गुजरात हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है. याचिकाकर्ता और सरकार के वकील की ओर से दलीलें पेश की जा रही हैं. राज्य सरकार की ओर से दोनों अपर महाधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा. मनीषा शाह और मितेश अमीन अदालत में पेश हुए. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि राज्य सरकार में निर्माण के लिए जीडीसीआर नियमों का पालन करना होगा लेकिन जीडीसीआर के नियम महज दिखावा हैं. इन नियमों का कभी पालन नहीं किया गया.
28 लोगों का मरना हत्या से कम नहीं
उन्होंने कहा कि राजकोट गेम जोन में भी कोई अनुमति नहीं ली गई. आवेदक के वकील निर्माण के मामले में जीडीसीआर के नियमों पर भी अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि जीडीसीआर में क्या नियम हैं और किन नियमों का पालन किया जाना चाहिए. 28 लोगों का मरना हत्या से कम नहीं है. जो नियम बनाए गए हैं, उनका पालन कराने में सक्षम विभाग विफल है. क्या कदम उठाए गए? इसकी पहुंच कैसे हुई?
हादसे पर HC ने स्वत: संज्ञान लिया था
वहीं, कोर्ट ने पूछा यह गेमजोन कब से चालू था? आवेदक के वकील ने कहा कि 15 महीने से. याचिकाकर्ता ने कहा कि नियम किसलिए बनाए गए हैं? भरूच में आग, राजकोट में आग, सूरत में आग, अहमदाबाद में आग, अस्पताल में आग, हर जगह आग लगी हुई है. लोग मर रहे हैं. सिस्टम सारा पैसा इकट्ठा कर क्या करता है? राजकोट हादसे पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. रविवार को भी इस मामले में सुनवाई हुई.
कल कोर्ट ने कहा था- यह एक मानव निर्मित आपदा
कल यानी रविवार को कोर्ट ने कहा था कि यह मानव निर्मित आपदा है. यह गेमिंग जोन सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा है. राजकोट हादसे पर सख्त रुख अपनाते हुए हाई कोर्ट ने एक दिन में रिपोर्ट मांगी थी. कोर्ट ने अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट नगर निगम से जवाब मांगा था. कोर्ट ने पूछा था कि किस नियम के तहत इसका संचालन हो रहा है. राजकोट हादसे में 12 बच्चों समेत 28 लोगों की मौत हो गई है.