‘द केरल स्टोरी’ फिल्म के रिलीज होने के बाद भारत में भले ही वामपंथी और कट्टरपंथी गिरोह इसे प्रोपेगेंडा बताकर खारिज करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन हकीकत में यह फिल्म विदेशों तक में सराही जा रही है। इस फिल्म को देखने के बाद लंदन की पत्रकार ने फिल्म की तारीफ की है। साथ ही जिन्होंने इसे प्रोपेगेंडा बताया है उन्हें भी खरी-खरी सुनाई है।
नाओमी कैंटन नाम की पत्रकार ने लिखा, “यूके सिनेमा में अभी द केरल स्टोरी फिल्म देखी। ये एक शानदार फिल्म हैं जो बताती है कि आखिर एक महिला के साथ क्या होता है जब वो ISIS आतंकी से शादी करती है। मैंने ऐसी फिल्म पहले नहीं देखी। इस फिल्म को प्रोपेगेंडा कहना सरासर गलत है, अगर कोई कहता है तो ये खुद एक प्रोपेगेंडा है। ISIS आतंकी से निकाह करने वाली मुस्लिम-गैर मुस्लिम हो सकती है। सबका एक ही हश्र होता है। जन्नत के सपने दिखाकर सीरिया ले जाते हैं। वहाँ रेप होता है। आजादी छिनती है और पासपोर्ट ले लिया जाता है। वह ऐसा फँसती हैं कि उन्हें पछतावा होने लगता है (बशर्ते वह शमीमा बेगम जितनी कट्टरपंथी न हों और ISIS में खुद न घुसना चाहें।)”
Just seen the movie The Kerala Story at the cinema in the UK. It is an excellent film that probes what happens when women marry ISIS fighters. Not seen any films like this. To call it a propaganda film is complete nonsense and is itself false propaganda. It could have been a…
— Naomi Canton (@naomi2009) May 20, 2023
पत्रकार कहती हैं, “फिल्म दिखाती हैं कि कैसे ISIS सबके लिए खतरा है। इसमें दिखाया है कि ये हिंदू और ईसाई लड़कियों को फँसाकर कट्टरपंथी बनाते हैं। ये सब चीज वो लोग कैसे करते हैं ये जानना जरूरी है। ये फिल्म है कोई डॉक्यूमेंट्री नहीं। केरल में तीन लड़कियों के साथ घटित घटना पर फिल्म आधारित है। फिल्म ये दावा नहीं करती कि ये उन लड़कियों की सटीक कहानी है। उम्मीद है कि कुछ पत्रकार केरल में इन लड़कियों के परिवारों से मिलकर इंटरव्यू लिए होंगे। ये भी उम्मीद है कि महिलाओं को कट्टरपंथी बनाने वाले लोगों को गिरफ्तार करने के प्रयास पुलिस कर रही होगी। इनमें एक तो केरल में ही रहकर अपना पिज्जा पार्लर चला रहा है।
कैंटन कहती हैं, “मुझे नहीं पता अगर एक महिला भी भारत से ISIS गई। लेकिन अगर एक भी गई है तो ये हैरान करने वाला है। फिल्म की अच्छाई है कि ये फिल्म बताती है कि जब कोई भारत से ISIS या आतंकी समूह में जाता है तो क्या होता है। इस फिल्म में प्रोपेगेंडा नहीं हैं। केवल ये दिखाया गया है कि ISIS कैसे लोगों को कट्टरपंथी बनाता है। ये अच्छा है कि फिल्म को यूके में रिलीज किया गया। इसे 18 रेटिंग देकर भी सही हुआ क्योंकि इसमें बहुत हिंसा है।”