संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को गाजा पट्टी में इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम के लिए एक प्रस्ताव को पारित किया. संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव के समर्थन में 14 वोट पड़े हैं. UNSCके स्थायी स्दस्य और वीटो अधिकार रखने वाले रूस ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
हमास ने अमेरिका द्वारा तैयार प्रस्ताव को अपनाए जाने का स्वागत किया. फिलिस्तीनी ग्रुप ने एक बयान में कहा कि वह योजना के सिद्धांतों को लागू करने में मध्यस्थों के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है. हमास के मुताबिक योजना ‘हमारे लोगों की मांगों और प्रतिरोध के अनुरूप हैं.’
बता दें यूएस प्रेसिडेंट जो बाइडेन ने, 31 मई को यह युद्धविराम प्रस्ताव सामने रखा था. उन्होंने इसे इजरायल की पहल बताया था. इस प्रस्ताव में तीन चरणों में एक व्यापक युद्धविराम योजना पेश की गई है.
सदस्य देशों ने प्रस्ताव पर क्या कहा?
यूएन में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफ्रील्ड ने प्रस्ताव पारित होने के बाद कहा कि युद्ध आज ही रुक सकता है, बशर्ते कि हमास सुरक्षा परिषद द्वारा पारित इस समझौते को स्वीकार कर ले. उन्होंने कहा कि अब एक नया रास्ता अपनाने का अवसर मौजूद है और अमेरिका ये सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि इजरायल अपनी ज़िम्मेदारियां निभाए, बशर्ते कि हमास भी इस युद्धविराम प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है.
इजरायल की प्रतिनिधि रेयूत शापिर बेन नैफ्तली ने कहा कि उनके देश के लक्ष्य 7 अक्टूबर के बाद से ही, बिल्कुल स्पष्ट रहे हैं, सभी बन्धकों को वापिस लौटाना, हमास की क्षमताओं को ध्वस्त करना… और ये सुनिश्चित करना कि गाजा भविष्य में इजरायल के लिए कोई ख़तरा नहीं बने.’ उन्होंने कहा, ‘जैसाकि हम इस चैंबर में भी कई बार कह चुके हैं, जब ये लक्ष्य हासिल हो जाएंगे, तो युद्ध ख़त्म हो जाएगा.’
एकमात्र अरब सदस्य ने किया समर्थन
परिषद के एकमात्र अरब सदस्य अल्जीरिया ने प्रस्ताव का समर्थन किया. अल्जीरिया के संयुक्त राष्ट्र राजदूत अमर बेंडजामा ने परिषद को बताया, ‘हमारा मानना है कि यह तत्काल और स्थायी युद्धविराम की दिशा में एक कदम आगे बढ़ा सकता है,’ उन्होंने कहा, ‘यह फिलिस्तीनियों के लिए आशा की किरण है, यह हत्या को रोकने का समय है.’
रूस ने बताया क्यों नहीं किया समर्थन
सुरक्षा परिषद में रूस के स्थाई प्रतिनिधि वैसिली नेबेन्जिया ने कहा कि उनके देश ने, अनेक चिंताओं के कारण, मतदान में हिस्सा नहीं लिया. उन्होंने कहा, ‘सैन्य भड़काव शुरू होने के समय से ही हम, एक स्थाई युद्धविराम व्यवस्था की ज़रूरत की हिमायत करते रहे हैं, जिसमें बंधकों की रिहाई और गाजा पट्टी में मानवीय सहायता की व्यवस्था की शर्त भी शामिल थी.’
रूस के राजदूत ने कहा कि प्रस्ताव में हमास से इस समझौते को स्वीकार करने की अपील की गई है, मगर अभी यह साफ नहीं है कि क्या इजरायल ने आधिकारिक रूप से इस समझौते के लिए अपनी स्वीकृति दे दी है, जैसाकि इस प्रस्ताव में लिखा गया है.
वैसिली नेबेन्जिया ने इजरायली नेताओं के इन बयानों का हवाला दिया कि युद्ध तब तक जारी रहेगा, जब तक कि हमास को पूरी तरह हरा नहीं दिया जाता है, ऐसे में उन्होंने सवाल पूछा, ‘इजरायल आखिरकार विशिष्ठ रूप में किस बात पर सहमत हुआ है.’
क्या कहता है तीन चरणों वाला यह प्रस्ताव?
ग़ाज़ा में युद्ध दीर्घकालिक युद्धविराम को इस प्रस्ताव को तीन चरणों में लागू करने की बात कही गई है. पहले चरण में, एक पूर्ण और व्यापक युद्धविराम तत्काल लागू किया जाएगा, हमास के पास बंधक तमाम लोगों को तत्काल रिहा किया जाएगा, फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई होगी, हमास के कब्जे में जिन कुछ बंधकों की मौत हो चुकी है, उनके शव लौटाए जाएंगे.
प्रस्ताव में, इजरायली सेना से, गाजा के आबादी वाले इलाक़ों से हटने, पूरे गाजा क्षेत्र में लोगों को अपने घरों को वापिस लौटने की अनुमति देने का आहवान किया गया है. साथ ही सुरक्षित और कारगर मानवीय सहायता आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने का भी आग्रह किया गया है.
दूसरे चरण में, गाजा में बाकी बचे बंधकों की रिहाई के बदले में, युद्ध का स्थाई अन्त होगा, और इसराइली सेनाएं, ग़ाज़ा से पूरी तरह हट जाएंगी.
तीसरे चरण में, गाजा की पुनर्निर्माण योजना शुरू होगी, गाजा में मौत का शिकार हो चुके बंधकों के शव इजरायल को लौटाए जाएंगे.
हमास के 7 अक्टूबर को इजरायल पर किए गए अब तक के सबसे बड़े हमले में 1200 लोग मारे गए जबकि उसने करीब 250 लोगों को बंधक बना लिया और अपने साथ गाजा ले गए. इसके बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी और फिलिस्तीनी ग्रुप के कब्जे वाले गाजा पट्टी पर हमले शुरू कर दिए. इजरायली हमलों में अब तक 37, 000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए हैं.