भारत का गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) क्षेत्र अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र बन गया है। भारत से आगे सिर्फ दो देश-अमेरिका और यूके से आगे है। यह जानकारी SBI की एक रिपोर्ट में दी गई है, जो देश के वित्तीय क्षेत्र की बढ़ती ताकत पर प्रकाश डालती है। IANS की खबर के मुताबिक, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के पास पूर्ण बैंकिंग लाइसेंस नहीं होता है और इसलिए वे सार्वजनिक जमा स्वीकार नहीं कर सकते हैं। ये संस्थाएं उपभोक्ताओं और व्यवसायों को लोन देने पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जो आर्थिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र बना बेहतर
खबर के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक दशक में, भारतीय बैंकिंग प्रणाली ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक वातावरण दोनों द्वारा उत्पन्न कई चुनौतियों पर काबू पाते हुए उल्लेखनीय लचीलापन प्रदर्शित किया है। इसमें कहा गया है कि परिसंपत्ति की गुणवत्ता में सुधार और मजबूत मैक्रोइकॉनोमिक फंडामेंटल ने भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारतीय सरकार और नियामक निकायों ने वित्तीय संस्थानों के लिए समान अवसर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है।
इन कोशिशों का दिखा नतीजा
इसमें विलय और पूंजी निवेश के माध्यम से मजबूत बैंकों का निर्माण, शासन प्रथाओं में सुधार, वित्तीय सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता का विस्तार और डिजिटल बैंकिंग को अपनाने में वृद्धि जैसी पहल शामिल हैं। महामारी के दौरान, सरकार ने पर्याप्त पूंजी और तरलता बफर के माध्यम से वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता बनाए रखी। इस लचीलेपन का श्रेय भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा उठाए गए सक्रिय उपायों को जाता है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने के रिजर्व बैंक के प्रयासों में नियामक उपायों को लागू करना शामिल था, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि यह क्षेत्र आर्थिक झटकों से अच्छी तरह से सुरक्षित रहे।
डिजिटल बैंकिंग में भी महत्वपूर्ण प्रगति
इन उपायों ने न सिर्फ स्थिरता बनाए रखने में मदद की है, बल्कि इस क्षेत्र के भीतर विकास और इनोवेशन को बढ़ावा देने में भी मदद की है। हाल ही में भारत के डिजिटल बैंकिंग परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। डिजिटल बैंकिंग की ओर बढ़ने से इस क्षेत्र की वृद्धि में प्रमुख योगदान रहा है। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर इस बदलाव ने वित्तीय सेवाओं तक पहुंच का विस्तार किया है, जिससे वे अधिक समावेशी और कुशल बन गए हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सरकार और नियामक निकायों ने ग्राहक सुरक्षा को प्राथमिकता दी है, यह सुनिश्चित करते हुए कि डिजिटल परिवर्तन के बीच जनता के हितों की रक्षा की जाए।
क्या कहती है एसबीआई की रिपोर्ट?
एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया, ‘वैश्विक स्तर पर नॉन-बैंक फाइनेंशियल इंटरमीडियरीज (एनबीएफआई) क्षेत्र का आकार 3 फीसदी घटा है। यह 2022 के बाद सेक्टर के साइज में पहली उल्लेखनीय कमी है। वहीं, भारत में उधार देने वाली संस्थाओं ने लगभग 10 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की है।’
रिपोर्ट में भारत को गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में अमेरिका और ब्रिटेन के बाद तीसरी सबसे बड़ी इकाई के रूप में दर्शाया गया है। पिछले एक दशक में वैश्विक स्तर पर आर्थिक मोर्चे पर कई बड़ी चुनौतियां आईं। लेकिन, भारत के बैकिंग सिस्टम ने उनसे पार पाते हुए अच्छा प्रदर्शन किया है।
एसबीआई के मुताबिक, परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार और मजबूत मैक्रोइकॉनोमिक फंडामेंटल्स ने भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई है। कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने पर्याप्त कैपिटल और लिक्विडिटी के माध्यम से वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता बनाए रखी। इसका श्रेय रिजर्व बैंक (RBI) के सशक्त उपायों को दिया जाता है।