बिहार के किसान अब वैज्ञानिक तकनीकों के माध्यम से खेती करेंगे. इसके लिए उन्हें विदेश भेजा जाएगा. विदेश में जाकर बिहार के किसान वहां की नई- नई तकनीकों के बारे में जानेंगे और खेती करने की बारीकी भी सीखेंगे. इसके बाद वे बिहार आकर अपने गांव में उन्नत तकनीकों की मदद से खेती करेंगे. खास बात यह है कि किसानों को विदेश भेजने के लिए सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है. सबसे पहले 13 जिलों के किसानों को विदेश भेजा जाएगा.
किसानों को विदेश भेजने के लिए सरकार मोटी रकम खर्च करेगी. एक किसान की विदेश यात्रा पर पांच लाख रुपये खर्च किए जाएंगे. विदेश टूर के पूरे खर्च का वहन राज्य कृषि विभाग करेगा. कहा जा रहा है कि पहले गंगा किनारे स्थित 13 जिलों के किसान विदेश जाएंगे और खेती करने की आधुनिक बारीकियों को सीखेंगे. दरअसल, राज्य सरकार प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहती है. उसका मानना है कि जैविक विधि से खेती करने पर मिट्टी और उर्वरा शक्ति बढ़ जाएगी. ऐसे में पैदावार बढ़ने से किसानों को अधिक आमदनी होगी.
राज्य कृषि विभाग 13 जिले के इच्छुक किसानों को भूटान, थाईलैंड और वियतनाम सहित अन्य देशों में खेती की उन्नत तकनीक को सीखने के लिए भेजेगा. वहीं, प्रदेश के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने कहा कि कृषि विभाग किसानों के विदेश दौरे पर होने वाले खर्च का वहन करेगा. उनका कहना है कि राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को साल 2025 तक हर तरह से मदद की जाएगी. साथ ही राज्य में जैविक खेती कॉरिडोर विकसित किया जाएगा. इसके ऊपर 104.36 करोड़ खर्च किए जाएंगे. कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने कहा कि गंगा किनारे स्थित 13 जिलों में जैविक खेती कॉरिडोर विकसित होगा. इसके लिए 20,000 एकड़ जमीन की पहचान की गई है. अब इस जमीन पर जैविक विधि की खेती होगी.
कृषि मंत्री की माने तो राज्य सरकार प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम और योजनाएं लागू करेगी. इसके ऊपर काम किया जा रहा है. यही वजह है कि सीएम नीतीश कुमार की सरकार ने प्रदेश में महत्वाकांक्षी चौथे कृषि रोडमैप लागू किया है. उन्होने कहा कि जैविक कॉरिडोर भोजपुर, नालंदा, लखीसराय, वैशाली, सारण, पटना, बक्सर, समस्तीपुर, खगड़िया, बेगूसराय, भागलपुर, मुंगेर और कटिहार से होते हुए गुजरेगा. इन कॉरिडोर में कुल 13 जिले शामिल हैं.