देशभर में नीट परीक्षा को रद्द करने के लिए विरोध प्रदर्शन हो रहे है। हालांकि, केंद्र ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा रद्द नहीं करने का फैसला किया है। इस बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया है कि सरकार ने परीक्षा रद्द करने का फैसला क्यों नहीं लिया।
क्यों नहीं रद्द हुआ एग्जाम?
अपना रुख स्पष्ट करते हुए, नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि लीक ने केवल सीमित संख्या में छात्रों को प्रभावित किया, जो 2004 और 2015 की पिछली घटनाओं के बिल्कुल विपरीत है, जहां व्यापक लीक के कारण परीक्षा रद्द कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि परीक्षा रद्द करने से उन लाखों छात्रों पर असर पड़ेगा जिन्होंने सही तरीके से परीक्षा पास की है। उन्होंने यह भी कहा कि मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रहा है और कोर्ट द्वारा लिया गया कोई भी फैसला अंतिम होगा।
कैसा बढ़ा विवाद?
NEET-यूजी परीक्षा में 67 छात्रों के एक समान 720 अंक आने के बाद विवाद बढ़ा है। दरअसल, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने सफाई दी है कि उन्होंने गलत प्रश्न और अभ्यर्थियों को देर से प्रश्न पत्र मिलने में देरी के कारण कुछ छात्रों को ग्रेस अंक दिए थे। बता दें कि 5 मई को एनटीए द्वारा एनईईटी-यूजी 2024 परीक्षा आयोजित किया गया था। जिसमें लगभग 24 लाख छात्रों ने परीक्षा दी थी और 4 जून को तय समय से पहले रिजल्ट जारी किए गए।
सुप्रीम कोर्ट ने की आलोचना
हालांकि, पेपर लीक होने और 1,500 से अधिक छात्रों को ग्रेस अंक देने के दावों के साथ विवाद पैदा हुआ, जिसके कारण व्यापक विरोध प्रदर्शन और कानूनी कार्रवाइयां हुईं। सुप्रीम कोर्ट ने भी एनटीए के संचालन की कड़ी आलोचना की थी।
वहीं, इस मामले में बिहार में एक छात्र और तीन अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। प्रधान ने कहा कि सरकार एजेंसी के कामकाज की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय पैनल का गठन करेगी, लेकिन उन्होंने कहा कि परीक्षा रद्द करने की कोई जरूरत नहीं है।