पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर NEET परीक्षा को खत्म करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हर राज्य को अपनी परीक्षा आयोजित करने का अधिकार होना चाहिए। पहले यही व्यवस्था थी, लेकिन इससे छात्रों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। इसी वजह से NTA की स्थापना की गई और देशभर में एडमिशन के लिए राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा आयोजित करने का फैसला लिया गया।
ममता बनर्जी ने पीएम को लिखा पत्र
West Bengal CM Mamata Banerjee writes to PM Narendra Modi regarding the National Eligibility cum Entrance Test (NEET) Examination; urges PM Modi to abolish NEET, restore the previous system of conducting this Exam by state governments. pic.twitter.com/cT6ZVgq3Nk
— ANI (@ANI) June 28, 2024
ममता ने पत्र में कही ये बात
बंगाल सीएम ने कहा, ”मैं राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) से जुड़े हाल के घटनाक्रमों के बारे में आपको लिखने के लिए बाध्य हूं। पेपर लीक के आरोप, कुछ लोगों और परीक्षाओं के संचालन में शामिल अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेना, कुछ छात्रों को परीक्षा के लिए आवेदन करने के लिए इजाजत देना, ग्रेस मार्क्स आदि कुछ गंभीर मुद्दे हैं जिन पर पूरा ध्यान देने की जरूरत है और इसकी साफ और निष्पक्ष जांच की जरूरत है।”
लाखों छात्रों के करियर का सवाल
ममता ने आगे कहा कि ऐसे मामले उन लाखों छात्रों के करियर और आकांक्षाओं को खतरे में डालते हैं जो इन मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने की उम्मीद करते हैं। ममता ने लिखा कि ऐसे मामले न केवल देश में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता करते हैं, बल्कि देश में चिकित्सा सुविधाओं और उपचार की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
2017 से पहले की प्रक्रिया का किया जिक्र
ममता ने कहा कि यह भी बताना जरूरी है कि 2017 से पहले राज्यों को अपनी प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की अनुमति थी और केंद्र सरकार भी मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अपनी परीक्षाएं आयोजित करती थी। यह प्रणाली सुचारू रूप से और बिना किसी समस्या के काम कर रही थी। उन्होंने आगे लिखा कि यह क्षेत्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षिक मानकों के लिए बेहतर था।
राज्य सरकार आमतौर पर शिक्षा और इंटर्नशिप पर प्रति डॉक्टर 50 लाख रुपये से अधिक खर्च करती है। इसलिए, राज्य को संयुक्त प्रवेश परीक्षा के माध्यम से मेडिकल छात्रों का चयन करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।