देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने मीडिया से बातचीत की और नए कानूनों से होने वाले बदलाव के बारे में जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के बनाए गए कानून खत्म हो चुके हैं। अब देश में नए कानून लागू हो रहे हैं, जिनमें आरोपी को सजा देने की बजाय पीड़ित को न्याय देने पर ज्यादा जोर दिया गया है।
अपराध | पहले (IPC की धारा) | अब (BNS की धारा) |
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मर्डर | 302 | 103 |
ठगी | 420 | 318 |
रेप | 376 | 64 |
चोरी | 379 | 303 |
राजद्रोह | 124 | 152 |
आपराधिक षणयंत्र | 120-B | 61 |
दहेज हत्या | 304-B | 80 |
धोखाधड़ी | 420 | 318 |
Union Home Minister & Minister of Cooperation Shri @AmitShah addresses a press conference at parliament library in New Delhi. #AzaadBharatKeKanoon https://t.co/mGfhiIw5aM
— BJP (@BJP4India) July 1, 2024
अमित शाह ने कहा कि नए कानून भारत की संसद ने बनाए हैं। नए कानून से ट्रायल में कमी आएगी। पुरानी धाराएं हटाकर नई धाराएं जोड़ी गई हैं, अब दंड की जगह न्याय पर जोर है। भारतीय कानून के अनुसार अब तक भारतीय दंड संहिता के अनुसार हर अपराधी को सजा मिलती थी। यह दंड संहिता 1860 में बनी थी। वहीं, अब भारतीय न्याय संहिता के तहत सजा मिलेगी, जिसको पिछले साल ही संसद की मंजूरी मिली। भारतीय दंड संहिता (IPC) cos 511 धाराएं थीं। वहीं, भारतीय न्याय संहिता (BNS) में 358 धाराएं हैं। आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1898 में 484 धाराएं थीं। अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 में 531 धाराएं हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में 167 प्रावधान थे। अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में 170 प्रावधान हैं।
हमने पीड़ित के अधिकार सुनिश्चित किए – शाह
गृह मंत्री ने कहा कि आजादी के 77 साल बाद आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी तरह स्वदेशी हो रही है। 75 साल के बाद इन कानूनों पर विचार हुआ और ये कानून आज से हर थाने में काम करना शुरू कर दिए हैं। अंग्रेजों के बनाए कानून खत्म हो गए हैं और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए आपराधिक कानून लागू हुए हैं। इनमें दंड की जगह न्याय, देरी की जगह त्वरित मुकदमे की व्यवस्था की गई है। पहले के कानूनों में पुलिस के अधिकारों की सुरक्षा थी, अब पीड़ित एवं शिकायतकर्ता के अधिकारों की रक्षा इन कानूनों के जरिए की गई है।