देश में जल्द ही आपको 132 सीटों वाली बस देखने को मिल सकती है। यात्रियों की सुविधा के लिए फ्लाइट की तरह बस में भी एयर होस्टेस रहेंगे। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पायलट प्रोजेक्ट का जिक्र किया है।
नागपुर में चल रहा पायलट प्रोजेक्ट पर काम
एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में गडकरी ने बताया कि नागपुर में एक पायलट प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। पायलट प्रोजेक्ट में 132 सीटों वाली बस शामिल है। बस की सीटें फ्लाइट जैसी रहेंगी। साथ ही फ्लाइट की तरह इसमें खाना मिलेगा। इसके अलावा बस होस्टेस की सुविधा भी दी जाएगी। यह बस ऊर्जा के गैर-प्रदूषणकारी स्रोतों पर चलेगी। इसकी सवारी अन्य बसों की तुलना में सस्ती होगी।
टाटा के साथ चल रहा काम
गडकरी ने ये भी बताया कि पायलट प्रोजेक्ट पर टाटा के साथ काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि जब मैं चेक गणराज्य गया था, तो वहां तीन बसों को जोड़कर एक ट्रॉली बस बनाई गई थी। हमारे प्रोजेक्ट में बस में 132 सीटें होंगी। ये बस रिंग रोड पर 49 किमी का सफर तय करेगी। 40 किमी के बाद बस स्टॉप पर रुकेगी और फिर अगले 40 किमी का सफर तय करने के लिए 40 सेकंड में रिचार्ज हो जाएगी। सफर की लागत 35-40 रुपये प्रति किमी आएगी।
बस में क्या-क्या होगा?
गडकरी ने कहा, ‘मैंने सुझाव दिया है कि बस में एयर कंडीशनिंग, आरामदायक कुर्सियां और सीटों के सामने लैपटॉप रखने के लिए जगह होनी चाहिए। इसमें बस होस्टेस की सुविधा भी होनी चाहिए जो यात्रियों को फल, पैक्ड फूड और पेय पदार्थ दें।’
अब जितना सफर, उतना ही टोल
गडकरी ने इस दौरान टोल टैक्स को लेकर बड़ा ऐलान किया है. गडकरी ने कहा, “अब जितना सफर, उतना ही टोल देना होगा. 3 महीने में GPS और सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम का पहला फेज शुरू हो जाएगा. बाद में इसे पूरे देश मे लागू किया जाएगा.”
प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या
नितिन गडकरी ने बताया, “अभी सबसे बड़ी समस्या प्रदूषण की है. वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण. हमारा पहला कदम इन प्रदूषण को कम करना और इसे दूर करना होगा. दिल्ली की बात करें, तो प्रदूषण कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी. ये कॉस्ट इफेक्टिव भी रहेगा. हम इलेक्ट्रिक टैक्सी को भी प्रमोट कर रहे हैं.”
इथेनॉल से कम होगा प्रदूषण और पैसे भी बचेगे
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “भारतीय तेल कंपनियां 300 इथेनॉल पंप स्थापित कर रही हैं. ऑटोमोबाइल कंपनियां फ्लेक्स व्हीकल ला रही हैं. इसलिए 120 रुपये प्रति लीटर पर पेट्रोल भरने के बजाय अब 60 रुपये प्रति लीटर पर इथेनॉल का इस्तेमाल करना बेहतर है. व्हीकल 60% बिजली पर और 40% इथेनॉल पर चलते हैं. इससे प्रदूषण भी कम होगा.”
पब्लिक ट्रांसपोर्ट की लागत को कम करने पर भी कर रहे काम
गडकरी ने कहा कि सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट की लागत को कम करने पर भी काम कर रही है. एक डीजल बस को चलाने की लागत 115 रुपये प्रति किलोमीटर है, जबकि एक एसी इलेक्ट्रिक बसें 41 रुपये में चलती हैं. नॉन-एसी बस 37 रुपये में सब्सिडी के साथ चलती हैं.” उन्होंने कहा, “सब्सिडी के बिना इसकी लागत 50 से 60 रुपये के बीच होगी. इससे बस के टिकट की कीमतें 15-20% कम करने में मदद मिलेगी.”
इथेनॉल, मेथनॉल और CNG का इस्तेमाल किफायती
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि JCB ने जो निर्माण उपकरण बनाए हैं, उसमें 50% इथेनॉल और 50% CNG का इस्तेमाल किया जाता है. ट्रैक्टर निर्माता भी ऐसी मशीनों पर काम कर रहे हैं, जो इथेनॉल, मेथनॉल और CNG पर चलती हैं. गडकरी ने जोर देकर कहा, “अगर हम पेट्रोल-डीजल के बजाय इथेनॉल, मेथनॉल और CNG पर फोकस करें, तो इससे न सिर्फ प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि किसानों की इनकम में भी इजाफा होगा.”