12 जुलाई को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने का एलान किया। समूचे विपक्ष ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया। इसके एक दिन बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता सुधांशु त्रिवेदी ने विपक्ष पर कटाक्ष किया और पूछा कि क्या जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में आंदोलन अराजक था? मैं अखिलेश यादव से पूछना चाहता हूं कि क्या उनके पिता मुलायम सिंह अराजकता का हिस्सा थे?”
#WATCH | On Shiv Sena (UBT) leader Sanjay Raut's statement, BJP MP Sudhanshu Trivedi says, "… I want to ask INDI bloc leaders, was the agitation under the leadership of Jaiprakash Narayan anarchy? I want to ask Lalu Prasad Yadav and Akhilesh Yadav, was his father Mulayam Singh… pic.twitter.com/lpPkGf5KER
— ANI (@ANI) July 13, 2024
संविधान की हत्या क्या होती है? सुधांशु त्रिवेदी ने बताया
त्रिवेदी ने कहा कि आपातकाल में देश के सभी नागरिकों के मूल अधिकारों को समाप्त कर दिया गया था। पुलिस के पकड़ने पर कोई भी व्यक्ति अदालत नहीं जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति यह कह दे कि ‘इंदिरा गांधी की सरकार हटानी है’ इस बात पर उसे जेल में डाला जा सकता था। आपातकाल में पूरा विपक्ष जेल में था। करीब डेढ़ लाख आम जनता 18 महीने जेल में रही। 38वां और 39वां संविधान संशोधन करके सरकार के किसी भी निर्णय पर न्यायिक समीक्षा का अधिकार समाप्त कर दिया गया था। संविधान की प्रस्तावना को बदल दिया गया था… यह तब किया गया जब पूरा विपक्ष जेल में था।
क्यों लगाया गया था आपातकाल?
त्रिवेदी ने कहा कि भारत के इतिहास में एक ही उदाहरण है जब किसी प्रधानमंत्री को चुनाव में धांधली का दोषी पाया गया। इंदिरा गांधी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चुनावी कदाचार और चुनावी भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया था। उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो उनकी सदस्यता बरकरार रखी गई। मगर वह सांसद के रूप में काम नहीं कर सकती थीं। वह छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकती थीं। लोकसभा की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकीं और वोट भी नहीं दे सकती थीं। तभी उन्होंने आपातकाल लगाया। प्रधानमंत्री के किसी निर्णय पर कोई टिप्पणी भी कोर्ट नहीं कर सकता था।
#WATCH | BJP MP Sudhanshu Trivedi says, "… In the history of India, Indira Gandhi was the only person who was convicted of electoral malpractices and electoral corruption by the Allahabad High Court. Her membership was cancelled. When she approached the SC, her membership was… pic.twitter.com/KrTHjSxuFe
— ANI (@ANI) July 13, 2024
नेहरू सरकार पर भी साधा निशाना
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू सरकार में पहला संविधान संशोधन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए किया गया था। यह 1951 में चुनाव होने से पहले किया गया था। बाबासाहेब अंबेडकर ने इस निर्णय से इतना आहत महसूस किया कि उन्होंने एक बयान जारी करके अपना दुख व्यक्त किया।
आलोचना करने पर होती थी जेल
‘संविधान की हत्या’ तब हुई जब पंडित नेहरू की कार्यशैली की तुलना हिटलर से करने पर मजरूह सुल्तानपुरी को दो साल तक जेल में डाल दिया गया। ‘संविधान की हत्या’ तब हुई जब गायक किशोर कुमार के गीतों को ऑल इंडिया रेडियो पर प्रतिबंधित कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने कांग्रेस द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने से इनकार कर दिया। 1980 में जब इंदिरा गांधी फिर सत्ता में वापस आई तो राज्यों में विपक्ष की सभी सरकारों को बर्खास्त कर दिया गया था।
#WATCH | BJP MP Sudhanshu Trivedi says, "The first constitutional amendment by Jawaharlal Nehru was made to curtail the Freedom of Expression, that too in 1951, even before the elections were held… Babasaheb Ambedkar felt so betrayed by this decision that he expressed his grief… pic.twitter.com/IpOwr7PyP4
— ANI (@ANI) July 13, 2024