सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. आम आदमी पार्टी के नेता दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पिछले 16 महीने से जेल में बंद है. चीफ जस्टिस ऑ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने एक नई पीठ को यह केस सौंपा है, जो 29 जुलाई को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.
इससे पहले दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम ने ईडी और सीबीआई के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपनी पहले की जमानत अर्जी को रिवाइव करने की मांग की. जिस पर जस्टिस संजीव खन्ना, संजय करोल और जस्टिस संजय कुमार की तीन जज की बेंच 11 जुलाई को सुनवाई करने वाली थी. लेकिन पीठ के एक जस्टिस संजय कुमार ने इस मामले से खुद को अलग कर दिया था.
अब सिसोदिया के मामले की सुनवाई नई बेंच करेगी
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि AAP नेता 16 महीने से जेल में बंद है. ट्रायल जहां पहले था, अभी भी वही पर है. उन्हें जमानत मिलनी चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्तूबर में इस बारे में कहा था कि ट्रायल में देरी होती है तो सिसोदिया निचली अदालत में जमानत की गुहार लगा सकते है.
बता दें कि पिछली सुनवाई (11 जुलाई) में जस्टिस संजय कुमार ने खुद को अलग कर लिया था. जस्टिस संजय कुमार ने कहा था कि वह निजी कारणों से सुनवाई से खुद को अलग कर रहे है. जिसके बाद मामले को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के पास भेज दिया गया था, सीजेआई द्वारा जस्टिस डीआर गवई की अध्यक्षता में नई बेंच गठन किया गया. अब इस मामले पर 29 जुलाई को सुनवाई होगी.
निचली अदालत से मिला झटका
वहीं, इससे एक दिन पहले 15 जुलाई को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट से आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को झटका लगा है. अदालत ने सोमवार को आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि को 22 जुलाई तक बढ़ा दी. दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और AAP के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने पिछले साल 26 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था. जिसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा थी. तक से अंक तक मनीष सिसोदिया जेल में बंद हैं.