बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश को छोड़ दिया। उनका विमान भारत के हिंडन एयरबेस पर उतरा। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक भारत के एनएसए अजित डोभाल ने शेख हसीना से मुलाकात की। शेख हसीना सोमवार रात हिंडन एयरबेस पर ही रुकीं। वहीं, बांग्लादेश के राष्ट्रपति ने विपक्षी नेता खालिदा जिया को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के गठन होने तक सत्ता सेना के हाथ में है।
बांग्लादेश का राजनीतिक घटनाक्रम बहुत तेजी से बदला। उन्मादी भीड़ प्रधानमंत्री आवास में घुस गई और शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा। इसके बाद रात में राष्ट्रपति की प्रेस टीम ने बयान जारी किया कि शहाबुद्दीन के नेतृत्व में एक बैठक हुई। इसमें बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया को तुरंत रिहा करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। बैठक में सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां, नौसेना और वायु सेना के प्रमुख और बीएनपी, जमात-ए-इस्लामी पार्टी सहित कई विपक्षी दलों के बड़े नेता शामिल थे। बता दें कि जमात ए इस्लामी कट्टरवादी संगठन है और शेख हसीना की सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाया था।
इसी जमात ए इस्लामी ने पाकिस्तानी सेना और रजाकारों के साथ मिलकर में 1971 पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में अत्याचार किए थे। और अब वह नई सरकार के गठन के लिए हुई बैठक में शामिल थी। खालिदा जिया का झुकाव जमात की तरफ है और वह चीन और पाकिस्तान की भी निकट हैं। शेख हसीना उदारवादी नेता मानी जाती हैं। वह बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं। मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के संस्थापक भी थे। वर्ष 1975 में उनकी हत्या कर दी गई थी। अगस्त 1975 में सेना के अफसरों ने उनके घर में ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। उन्होंने मुजीबुर रहमान, उनकी पत्नी, बेटा और बहू तथा 10 साल के बेटे की हत्या कर दी थी। शेख हसीना और उनकी बहन रेहाना उस वक्त जर्मनी में थीं, इस वजह से उनकी जान बच गई थी। इसके बाद भारत ने उन्हें शरण दी थीं। उस समय भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं।
शेख हसीना उदारवादी नेता मानी जाती हैं। वह बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं। मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के संस्थापक भी थे। वर्ष 1975 में उनकी हत्या कर दी गई थी। अगस्त 1975 में सेना के अफसरों ने उनके घर में ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। उन्होंने मुजीबुर रहमान, उनकी पत्नी, बेटा और बहू तथा 10 साल के बेटे की हत्या कर दी थी। शेख हसीना और उनकी बहन रेहाना उस वक्त जर्मनी में थीं, इस वजह से उनकी जान बच गई थी। इसके बाद भारत ने उन्हें शरण दी थीं। उस समय भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं।
शेख हसीना के 15 साल का शासन का अंत 45 मिनट में हो गया। इसके पीछे जमात ए इस्लामी और आईएसआई की साजिश सामने आ रही है। प्रतिबंधित संगठन जमात ए इस्लामी से जुड़े छात्र संगठन ने शेख हसीना का विरोध किया।
प्रदर्शन था बहाना, हसीना को सत्ता से था हटाना
बांग्लादेश में पिछले महीने विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था। 1971 के मुक्ति संग्राम के परिवारों को सरकारी नौकरी में 30 प्रतिशत आरक्षण देने की बात थी। विरोध के बाद यह निर्णय वापस ले लिया गया था। इसके बाद रविवार को फिर हिंसा भड़की। उन्मादी भीड़ में मुक्ति संग्राम के नायकों के प्रति इतनी नफरत थी कि उन्होंने मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को हथौड़े से तोड़ दिया और रजाकार के नारे लगाए। ये रजाकार वही हैं, जिन्होंने बांग्लादेश में जुल्म ढाए थे। हजारों महिलाओं का बलात्कार किया था। निर्दोष लोगों की हत्या की थी।
यह प्रदर्शन महज बहाना था। असली मकसद शेख हसीना को सत्ता से हटाना था। इसकी रूपरेखा करीब छह महीने पहले बना ली गई थी और इसकी साजिश तभी से रची जा रही थी। इसमें जमात ए इस्लामी शामिल है और मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उसका साथ सेना ने दिया। जनवरी 2024 में तख्तापलट की पटकथा लिखी जा रही थी। जमात और सेना के बड़े अधिकारियों के बीच बैठक होने की बात भी सामने आ रही है। आरक्षण के नाम पर दंगा-फसाद को भड़काया गया और शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया गया। यह भी कहा जा रहा है कि इसमें आतंकवादी संगठन भी शामिल थे। उन्होंने आंदोलन की कमान संभाली और उन्हें बाहरी देशों से पैसा भी मिढाका चलो मार्च के बाद बांग्लादेश में इंटरेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं। इसके बावजूद हिंसक आंदोलन हुआ। लाखों लोग शेख हसीना के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। वायरल हुए वीडियो से पता चलता है कि इनमें से कई के पास घातक हथियार भी थे। शेख हसीना के घर पर लगी फोटो को सेना के लोगों ने ही हटाया, यह बात भी वायरल हुए वीडियो में दिख रही है।