बांग्लादेश में जारी इस्लामी कट्टरपंथी हिंसा के कारण पुलिस भी असुरक्षित महसूस कर रही है। हिंसक भीड़ देश भर में चुन चुन कर पुलिस थानों को निशाना बना रही है। बांग्लादेश में लगभग 30 थानों में तोड़फोड़ और आगजनी की है। राजधानी ढाका में पुलिस और दंगाइयों के बीच हुई झड़प के कारण एक ही दिन में दर्जनों लोग मारे गए हैं। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही पुलिस के मुखिया को हटा कर नए व्यक्ति की नियुक्ति की गई है।
देश भर में पुलिस थानों पर हमला
बांग्लादेश के भीतर सभी जगह पुलिस थानों पर हमला हो रहा है। बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार, कम से कम 29 थानों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया गया है। यहाँ के सामान और गोला-बारूद को लूट लिया गया है और आगजनी भी की गई है। इसके अलावा भी कई थानों को निशाना बनाया गया है। राजधानी ढाका के अलावा मीरपुर, खुलना और चट्टोग्राम जैसे शहरों में भी पुलिस वालों के खिलाफ हिंसा हुई है। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि सोमवार (5 अगस्त, 2024) को सत्ता परिवर्तन के बाद से अब तक कम से कम 50 पुलिसवालों को मारा जा चुका है।
देश के अधिकांश थाने खाली पड़े हैं और पुलिसवाले अपनी सुरक्षा के लिए भाग गए हैं। अधिकांश अपने रिश्तेदारों के यहाँ छुपे हुए है। इस्लामी भीड़ के हमले से बांग्लादेश पुलिस का मुख्यालय भी अछूता नहीं रहा है। इसे भी हमलवारों ने तोड़फोड़ दिया है। इस्लामी कट्टरपंथी पुलिस से बदला लेना चाहते हैं क्योंकि शेख हसीना के राज के दौरान पुलिस ने उनके दंगे रोकने की कोशिश की थी। ढाका के जत्राबाड़ी स्टेशन को पूरी तरह बर्बाद कर दिया गया जबकि मीरपुर से हथियार लूट लिए गए। कई जगह थानों के बाहर पुलिस वालों की लाशें मिली हैं।
पुलिस के साथ झड़प में 31 की मौत
ढाका के सवर इलाके में पुलिस के साथ झड़प में 31 लोग मारे गए हैं। यहाँ एक पिकप में जा रहे दो लोगों को जला कर मार दिया गया, यह संभवतः पुलिसकर्मी थे। इस हिंसा के दौरान कई आम लोगों के गोलीबारी से मौत होने की बात भी सामने आई है। सिलहट में भी तीन पुलिसकर्मियों को मार दिया गया है। बताया गया कि शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद भी लगभग 100 मौतें हुई हैं। पुलिस के अलावा आम लोगों को भी इस्लामी कट्टरपंथी मार रहे हैं। ढाका में ही दो लोगों को मर कर उनकी लाश लटका दी गई।
पुलिस के मुखिया को भी हटाया
बांग्लादेश में झड़प और पुलिस के आवामी लीग सरकार के लिए काम करने के आरोपों के बीच पुलिस मुखिया IGP चौधरी अब्दुल्लाह अल ममून को हटा दिया गया है। वह लगातार कई साल से इस पद पर बने हुए थे। उनकी जगह ट्रैफिक के मुखिया मैनुल इस्लाम को अब IGP पुलिस बनाया गया है। उनकी नियुक्ति वर्तमान में सत्ता संभाल रही सेना और अंतरिम सरकार ने की है। पुराने मुखिया को इसीलिए हटाया गया है क्योंकि उनकी नियुक्ति हसीना सरकार में हुई थी।
हिंसा करने वाले 2400 जेल से छूटे
बांग्लादेश में हसीना सरकार गिरने के बाद जमात-ए-इस्लामी और BNP के कट्टर इस्लामी नेताओं समेत 2400 लोगों को जेल से रिहा कर दिया गया है। इन लोगों को जून-जुलाई माह में बांग्लादेश में हिंसा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इन सभी को हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़ जैसे 178 मामलों में गिरफ्तार किया गया था। इनमें से कई पुलिसकर्मियों पर हमला करने के आरोपित भी थे। जिन लोगों को छोड़ा गया है, उनमें जमात के कई बड़े नेता हैं।
देश में जरूरी सेवाएँ ध्वस्त
बांग्लादेश में जारी हिंसा और तोड़फोड़ के कारण अधिकांश जरूरी सेवाएँ ध्वस्त हो चुकी हैं। सबसे बुरा प्रभाव बैकिंग सेवाओं पर पड़ा है। बैंक और ATM में पैसा नहीं मिल रहा है। ATM में भी इसलिए पैसे नहीं डाले जा रहे क्योंकि लगातार लूटपाट की घटनाएँ हो रही हैं। जो बैंक खुल भी रहे हैं उनमें काम नहीं हो पा रहा। बैंकों के अलावा अधिकांश दुकानें भी बंद हैं। इसके कारण आम जनता को खाने-पीने के सामान को लेकर भी दिक्कत हो रही है।
गौरतलब है कि बांग्लादेश में जुलाई महीने से ही आरक्षण खत्म करने की माँग को लेकर प्रदर्शन चल रहे थे। इस प्रदर्शन को इस्लामी कट्टरपंथियों ने हाइजैक कर लिया और इसके बाद भारी हिंसा हुई। यह हिंसा अगस्त में और बढ़ गई और प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा। शेख हसीना सोमवार (5 अगस्त, 2024) को ढाका छोड़ कर भारत आ गईं। वर्तमान में वह भारत में हैं।