मणिपुर में पिछले साल से जारी हिंसा के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार हिंसा से लोगों को बचाने के लिए उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया। लोगों को चुराचांदपुर और मोरेह से इंफाल घाटी में स्थानातरित करने के विपक्ष के सवाल पर सीएम सिंह ने कहा कि हिंसा वाली रात वे दफ्तर में चीजों को ठीक करने को लेकर चर्चा कर रहे थे।
सीएम बीरेन सिंह ने कहा, “जिस रात हिंसा शुरू हुई, हम सो नहीं पाए। हम कार्यालय में चीजों को जल्द ठीक करने को लेकर चर्चा कर रहे थे। मोरेह में प्रभावित लोगों को असम राइफल्स शिविर में रखा गया था। वहीं चुराचांदपुर में प्रभावित लोग सचिवालय में थे। हम उन्हें वहीं रखने चा सोच रहे थे, लेकिन वे लोग मदद की गुहार लगा रहे थे। हर तरफ से दबाव था कि प्रभावित लोग अपने वर्तमान स्थानों में सुरक्षित नहीं हैं। हालांकि, जान बचाना हमारी प्राथमिकता है, इसलिए सरकार ने उन्हें निकालने का फैसला किया था।”
बीरेन सिंह ने कहा, “अब सवाल यह उठ रहे कि लोगों को चुराचांदपुर और मैरेह से निकालकर इंफाल घाटी में स्थानांतरित क्यों किया गया। अगर उन्हें स्थानांतरित नहीं किया गया होता तो दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घटती और इससे एक अलग सवाल खड़ा होता।” उन्होंने आगे कहा, “हजारों की संख्या भीड़ इकट्ठी हो गई थी और ऐसे में आप लोगों पर अंधाधुंध गोलियां नहीं चला सकते हैं।”
शांति को भंग करने में लगे हैं लोग- CM
उन्होंने आरोप लगाया कि शांति प्रक्रिया को विफल करने के लिए बहुत से लोग काम कर रहे हैं। जिरीबाम जिले में शांति पहल की घोषणा के एक दिन बाद ही आगजनी की घटनाएं हुईं। ऐसे बहुत से लोग हैं जो अभी भी संघर्ष जारी रखना चाहते हैं और इसे बढ़ाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, फिर भी, हम शांति के संकेत देख रहे हैं। हाल ही में, जिरीबाम में अपने घरों से भागे 133 लोग वापस लौट आए हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि विस्थापित लोग भी अपने घरों को लौटें।
पिछले वर्ष मई में इम्फाल घाटी स्थित मैतेई और पहाड़ी क्षेत्र स्थित कुकी लोगों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद 200 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हो गए।
एक साल से जारी है हिंसा
बता दें कि मणिपुर में पिछले एक साल से ही हिंसा जारी है। दरअसल, मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पिछले साल तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
कुछ एजेंसियां AFSPA लगाने पर डाल रही जोर- CM बिरेन
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने गुरुवार को कहा कि कुछ केंद्रीय एजेंसियां राज्य के घाटी जिलों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफ्सपा) को फिर से लागू करने के लिए दबाव डाल रही हैं। विधानसभा में नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के सदस्य लीशियो कीशिंग के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए सीएम ने कहा कि पिछले साल 3 मई से घाटी जिलों में विकसित स्थिति के कारण, कुछ केंद्रीय एजेंसियां अफ्सपा को फिर से लागू करने के लिए दबाव डाल रही थीं।
एजेंसियों ने दिया ये तर्क
CM बिरेन ने कहा कि उनके साथ चर्चा के दौरान भी इन एजेंसियों ने तर्क दिया कि सामान्य कानून स्थिति को सुलझा नहीं सकते हैं और इसलिए घाटी जिलों में AFSPA को फिर से लागू किया जाना चाहिए।
इस सुझाव पर आपत्ति जताते हुए सीएम ने कहा, हम पहाड़ी जिलों से AFSPA को हटाने की मांग करने पक्ष में थे, लेकिन मुझसे पूछा गया कि क्या घाटी जिलों में स्थिति को सामान्य कानूनों के तहत प्रबंधित किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने एजेंसियों को आश्वासन दिया कि अशांति हाल की हिंसा के प्रति भावनात्मक प्रतिक्रियाओं का परिणाम है और वह धीरे-धीरे स्थिति का समाधान करेंगे।